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पीएम मोदी और शिनफिंग के बीच भारत और चीन के बीच तनाव वाले मुद्दों को दरकिनार कर साझा भविष्य पर ध्यान देने का फैसला

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच यहां दो दिनों तक हुई दूसरी अनौपचारिक वार्ता में दोनों नेताओं के बीच सहमति बनी है कि वे रिश्तों में उपजने वाले छोटे-मोटे तनावों को बड़ी समस्या का रूप नहीं लेने देंगे और न ही इन तनावों से साझा भविष्य तलाशने की कोशिशों पर असर पड़ने देंगे। मोदी और चिनफिंग के बीच दोनों दिन कई चरणों में तकरीबन साढ़े छह घंटे चली व्यक्तिगत वार्ता में आर्थिक और कारोबारी मुद्दों को लेकर काफी विमर्श हुआ। इनके समाधान के लिए एक उच्चस्तरीय वार्ता तंत्र बनाने पर सहमति बनी। दोनों ने पिछले वर्ष वुहान में हुई इस तरह की पहली बैठक में सीमा पर अमन और शांति बहाली के लिए उठाए गए कदमों को और मजबूती से लागू करने की बात दोहराई। इस बारे में जल्द ही अतिरिक्त उपायों की घोषणा की जाएगी। इससे भी अहम बात यह है कि हर वर्ष अनौपचारिक तौर पर मिलकर रिश्तों को दिशा देने की यह कोशिश दोनों नेता आगे भी जारी रखेंगे।
बातचीत में नहीं उठा कश्‍मीर का मुद्दा
मोदी और चिनफिंग के बीच 1400 वर्ष पूर्व स्थापित इस ऐतिहासिक शहर में हुई वार्ता में लिए गए फैसलों को ‘चेन्नई कनेक्ट’ के नाम से चिन्हित किया गया है। पिछली बैठक को ‘वुहान स्पि्रट’ के नाम से जाना जाता है। विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि भारतीय प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति की बीच दो दिनों की इस बातचीत में कश्मीर का मुद्दा नहीं उठा। हालांकि चीनी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की हालिया चीन यात्रा के बारे में जानकारी दी। दरअसल, इमरान खान के पांच दिन पहले चीन पहुंचने और वहां राष्ट्रपति चिनफिंग की तरफ से कश्मीर पर कुछ टिप्पणी करने के बाद इसका साया मामल्लपुरम वार्ता पर भी पड़ने की बात कही जा रही थी। माना जा रहा है कि चिनिफंग की टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने जिस तरह से कड़ी टिप्पणी की थी, संभवत: उससे साफ हो गया था कि कश्मीर पर भारत हस्तक्षेप सहन करने के मूड में नहीं है।
मतभेदों को विवाद नहीं बनने देंगे
दूसरी बात यह है कि जिस तरह भारतीय पक्ष ने राष्ट्रपति चिनफिंग और उनके साथ आए करीब 100 सदस्यीय दल का स्वागत किया, यह उसका भी असर हो।चीन के राष्ट्रपति के साथ आधिकारिक स्तर की वार्ता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘पिछले दो हजार साल के अधिकांश कालखंड में भारत और चीन दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्तियां रहे हैं और अब इस शताब्दी में हम फिर से साथ-साथ उस स्थिति को हासिल कर रहे हैं। हमने तय किया है कि हम मतभेदों का समझदारी से समाधान करेंगे और उन्हें विवाद नहीं बनने देंगे। हम एक दूसरे की चिंताओं के बारे में संवेदनशील रहेंगे। हमारे चेन्नई विजन से दोनों देशों के बीच सहयोग का नया दौर शुरू होगा।
मेहमानवाजी से गदगद चिनफिंग
‘राष्ट्रपति चिनफिंग का बयान भी कम सकारात्मक नहीं रहा। मेहमानवाजी से गदगद चिनफिंग ने कारोबार को लेकर भारत की चिंताओं को बखूबी समझने की बात कही। चाहे चीन से बढ़ते आयात की वजह से भारत के पक्ष में गड़बड़ाते कारोबारी घाटे की बात हो या क्षेत्रीय कारोबारी समझौते (रीजनल कंप्रीहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप-आरसेप) को लेकर भारत की चिंताओं की बात हो, चिनफिंग ने हर मुद्दे को सुना और कहा कि वह ऐसा समाधान निकालने का समर्थन करेंगे जिससे हर पक्ष के हितों का ख्याल रखा जा सके।
विदेश सचिव गोखले ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और चीन के उपप्रधानमंत्री हू चुंगहुआ की अध्यक्षता में कारोबार और आर्थिक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने और समस्याओं को सुलझाने के लिए बातचीत का तंत्र बनेगा। इसकी घोषणा दोनों तरफ के संबंधित मंत्रालयों की तरफ से जल्द की जाएगी। दोनों मंत्रियों की तरफ से एक दूसरे के देश की कंपनियों को निवेश में होने वाली दिक्कतों को दूर करने पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा। चीन ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारतीय कंपनियों के साथ साझा उपक्रम स्थापित करने की पेशकश की है। दोनों देशों की कंपनियां संयुक्त उपक्रम के जरिये तीसरे देशों में संयुक्त निवेश कर सकें, इसका भी रास्ता खोजा जाएगा।
जनता को भी करीब लाएंगे दोनों देश
मोदी और चिनफिंग के बीच हुई इस वार्ता में दोनों देशों की जनता को आपस में करीब लाने के कई पहलुओं पर भी बात हुई। दोनों नेताओं ने माना कि 2.7 अरब की आबादी के बीच समझबूझ बढ़ने से दुनिया को कई तरह के लाभ होंगे। इसके लिए पर्यटन पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा। मोदी ने सुझाया कि अभी चीन अपनी पार्टी के 70 वर्ष पूरे होने का साल मना रहा है, जबकि भारत जल्द ही आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। साथ ही दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित किए जाने के भी 70 वर्ष हो रहे हैं। ऐसे में पर्यटन को बढ़ाने की विशेष कोशिश की जा सकती है। इस क्रम में बताते चलें कि चीन स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को ही वहां के नागरिकों को आसानी से वीजा देने संबंधी नियमों की घोषणा की है। इसके अलावा मामल्लपुरम और चीन के फुजियांग शहर के बीच पुराने संबंधों को खोजने के लिए साझा अध्ययन करने पर भी सहमति बनी।
रणनीतिक रिश्तों का करेंगे आगाज
राष्ट्रपति चिनफिंग के साथ बातचीत में रणनीतिक और रक्षा साझेदारी की बात भी उठी। दोनों नेताओं ने इस बात पर खास तौर पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अमन और शांति बनाए रखने के लिए और ज्यादा जोर दिया जाना चाहिए। इसके लिए पिछले वर्ष जो कदम उठाए गए थे उनको आगे भी जारी रखा जाएगा। चीन ने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी आमंत्रित किया और माना जा रहा है कि तभी व्यापक रणनीतिक संबंधों पर बात की जा सकेगी। सीमा पर शांति बहाली के लिए जल्द ही कुछ अतिरिक्त उपायों का भी एलान किए जाने के संकेत दिए गए हैं। वैसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर दोनों नेताओं के बीच सहमति थी। दोनों देश बहुलवादी सभ्यताओं वाले देश हैं और मानते हैं कि धार्मिक कट्टरता उनके लिए साझा चुनौती है। धार्मिक कट्टरता खत्म करने के बारे में भी दोनों देश आगे सहयोग स्थापित करेंगे

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