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पीएम ने भंग किए सभी मंत्री समूह, मंत्रालय अपने स्तर से लेंगे फैसले

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मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए संप्रग सरकार के समय विभिन्न मुद्दों पर शुरू किए मंत्रिमंडलीय समूह (जीओएम) व उच्चधिकार प्राप्त मंत्रिमंडलीय समूह (इजीओएम) की व्यवस्था समाप्त कर दी है। संप्रग सरकार में एक समय लगभग चार दजर्न जीओएम तक हो गए थे। इस समय इस तरह के 30 (9 ईओजीएम व 21 जीओएम) समूह काम कर रहे थे। इन समूहों के पास जाे मसले थे उनको अब संबंधित मंत्रालय देखेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी और अधिक जबाबदेही आएगी। जहां कठिनाई होगी, वहां कैबिनेट सचिवालय व पीएमओ मदद करेगा। निजाम बदला है तो शासन के तौर-तरीके भी बदलेंगे। संप्रग सरकार के कार्यकाल में हर फैसला मंत्रिसमूह (जीओएम) या अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह (ईजीओएम) के जरिए करने की परवान चढ़ी परंपरा को खत्म कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार में तेजी से फैसले लेने की आदत डालने की एक अहम कोशिश करते हुए शनिवार को संप्रग कार्यकाल में गठित सभी जीओएम और ईजीओएम भंग कर दिए हैं।साथ ही सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया है कि वे अधिकांश फैसले अपने स्तर पर ही करें। जहां मुश्किल होगी वहां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और कैबिनेट सचिवालय की मदद ली जाएगी।
प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले ही प्रशासन के 10 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा करते हुए इस बात के संकेत दे दिए थे कि जीओएम और ईजीओएम से फैसला कराने के तरीके को वह पसंद नहीं करते। इसमें कहा गया था कि मंत्रालयों के भीतर अंतर-मंत्रालयीय समितियां बनें, जो अहम फैसले करें। कुछ मंत्रालयों ने तो इस निर्देश के आधार पर अंतर-मंत्रालयीय समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू भी कर दी थी।पेट्रोलियम, कोयला व बिजली मंत्रालय में इस तरह की समितियां जल्द गठित होने की संभावना है। इस तेजी के बावजूद शनिवार को सरकार की ओर से साफ तौर पर जता दिया गया है कि इस बारे मे सभी मंत्रालयों को तेजी से फैसला करना होगा। इस फैसले के कई आयाम है। मसलन, मंत्रालय के बाबू अब फैसला करने से कतरा नहीं सकते। संप्रग कार्यकाल में सीबीआइ, कैग व अन्य एजेंसियों की वजह से फैसले लेने की रफ्तार धीमी पड़ गई थी।अब ऐसे हालात बदलने होंगे। जहां फैसला करने में मुश्किल होगी, वहां कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय मदद करेगा। स्पष्ट है कि पीएमओ के साथ हीकैबिनेट सचिवालय ज्यादा मजबूत होंगे। इससे फैसले जल्द किए जा सकेंगे।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद को बताया था कि संप्रग-दो ने कुल 97 मुद्दों पर ईजीओएम और जीओएम बनाए गए थे। इनमें 40 जीओएम और 17 ईजीओएम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, जिसके आधार पर कई फैसले भी हुए, लेकिन संप्रग कार्यकाल के अंतिम समय तक 37 जीओएम या ईजीओएम काम कर रहे थे।
कुछ मंत्रिसमूह तो ऐसे थे, जिनकी कभी बैठक भी नहीं हो पाई। कुछ मंत्रिसमूह की कई बैठकों के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके थे। नीतिगत जड़ता की शिकार संप्रग-दो ने अंतिम दो-तीन वर्ष के दौरान लगभग हर मुद्दे पर जीओएम बनाने की परंपरा चला दी थी। सरकार की फैसले लेने की गति इतनी धीमी थी कि जीओएम भी कई मुद्दों का हल नहीं निकाल सके।
मसलन, पर्यावरण मंत्रालय से संबंधित गो और नो-गो का मामला। उद्योगों को गैस आवंटन का मामला। जल वितरण की राष्ट्रीय आंतरिक नीति बनाने के लिए गठित जीओएम की शायद ही कभी बैठक हुई हो। विडंबना यह है कि जीओएम के पास मामले पहुंचने के बाद उन पर फैसला लेना और मुश्किल हो गया था।
प्रधानमंत्री का दस सूत्रीय कार्यक्रम 1. अधिकारियों पर भरोसा, ताकि वह निडर होकर फैसला करें। 2. अधिकारियों को काम की आजादी। नए विचारों का स्वागत। 3. शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा और सड़क को प्राथमिकता। 4. पारदर्शिता को बढ़ावा। ई-ऑक्शन को प्राथमिकता। 5. जीओएम की जगह अंतर-मंत्रालीय समूह को बढ़ावा। 6. लोगों के हितों से जुड़ी व्यवस्था तैयार करना। 7. अर्थंव्यवस्था की चिंताओं का निदान खोजना। 8. ढांचागत व निवेश संबंधी सुधार। 9. नीतियों को एक निश्चित समयसीमा में लागू करना। 10. स्थायी सरकारी नीतियां बनाना।
दस प्रमुख मुद्दे जिन पर संप्रग ने गठित किए समूह
1. उर्वरक कीमत 2. जल प्रबंधन 3. राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय 4. प्रशासनिक सुधार 5. नागरिक उडड्यन 6. कोयला खनन 7. राष्ट्रीय दवा नीति 8. विश्व व्यापार संगठन9. द्लि्ली की परिवहन व्यवस्था 10. ऊर्जा नति
फैसले से फायदा -मंत्रालयों के अफसर फैसले लेने से नहीं कर सकेंगे इन्कार -पीएमओ के साथ ही कैबिनेट सचिवालय होगा ज्यादा मजबूत -अंतर-मंत्रालयीय समितियों को ही करने होंगे अहम फैसले सरकार में राज्य मंत्रियों की भी अहम भूमिका के संकेत देते हुए मोदी ने सोमवार शाम मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई है।
देश की जनता से साठ महीने मांगने वाले मोदी अब अपने वादों पर अमल करने में पूरी तरह जुट गए है। मोदी ने मंत्रियों को दस सूत्री एजेंडा, सौ दिन की प्राथमिकता तय कर काम शुरू करने के साथ के साथ सोशल मीडिया मसलन फेसबुक व ट्विटर पर भी सक्रिय रहने को कहा है। सूत्रों के अनुसार हर मंत्रालय में कोई न कोई अधिकारी भी मंत्री के साथ सतत रूप से संपर्क में रहेगा। कोशिश को यह है कि हर रोज कार्यालय खुले, लेकिन इसमें आनलाइन संपर्क में रहने का विकल्प भी है।मोदी ने कोर ग्रुप से की मंत्रणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भाजपा अध्यक्ष व गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली व भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के साथ मंत्रणा की है। सूत्रों के अनुसार इस दौरान अगले कैबिनेट विस्तार, संसद सत्र, लोकसभा स्पीकर, विपक्ष के नेता पद व भाजपा के नए अध्यक्ष के मुद्दों पर चर्चा की गई
सरकार ने पाक अधिकृत कश्मीर के मसले को गंभीरता से लेते हुए इस पर नई रणनीति के संकेत दिए हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर करने पर विचार कर रही है। इससे वह यह संकेत दे सकती है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के हिस्से पर कब्जा कर रखा है। इसके साथ ही सरकार लंबे समय से कश्मीर घाटी से पलायन कर बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों की वापसी के मुद्दे पर भी जल्दी ही बड़ा फैसला ले सकते हैं। मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को अपनी प्राथमिकता में रखा था। सूत्रों के अनुसार मोदी ने इस मामले में अधिकारिक स्तर चर्चाएं भी की है।
पांच दिन-पांच फैसले-1. सरकार का दस सूत्री एजेंड 2. 100 दिन की प्राथमिकताएं तक कर काम करेंगे मंत्री 3. संप्रग सरकार की जीओएम व्यवस्था समाप्त 4. सभी मंत्री सोशल साइट पर रहेंगे सक्रिय 5. बिना छुट्टी के चौबीसों घंटे काम करेगी सरकार

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