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पायलटोंवाला जी-सूट पहनकर सीतारमण ने सुखोई में भरी उड़ान, पहली महिला रक्षा मंत्री बनीं

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रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने जोधपुर के हवाई अड्डे से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई में उड़ान भरी। रक्षामंत्री पायलट का जी सूट पहनकर कॉकपिट में बैठीं।
वह अभियान की तैयारियों और युद्धक क्षमताओं की समीक्षा कर रहीं हैं। सुखोई-30 एमकेआई परमाणु सक्षम विमान है, जो दुश्मन के क्षेत्र में अंदर तक घुस सकता है।
सुखोई एयरफोर्स का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान है। इस उड़ान में सीतारमण करीब 45 मिनट तक आसमान में रहीं। उनके इस उड़ान का मकसद सेना के अलग-अलग अंगों की तैयारियों और कार्यप्रणाली को समझना है।
सुखोई 30 MKI का ये वेरिएंट रुसी सुखोई एसयू 30 का मॉडिफाइड वर्जन है। सीतारमण इस लड़ाकू विमान की पिछली सीट पर सवार थीं। 31 स्क्वार्डन लॉयन को इसकी उड़ान भरने का जिम्मा सौंपा गया था।
रक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद से ही सीतारमण को समय-समय पर सेना की हौसला अफजाई करते हुए देखा चुका है।
इससे पहले उन्होंने गोवा में देश के सबसे बड़े नौसैनिक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य का जायजा लिया था। बीते वर्ष भी उन्होंने भारत-पाकिस्तान की बॉर्डर पर जाकर सेन्य तैयारियों का जायजा लिया था।
सुखोई की खूबियां
सुखोई 30एमकेआई के डिज़ाइन का निर्माण रुस के सुखोई कॉरपोरेशन द्वारा किया गया। रुस और भारत ने संयुक्त रुप से इस विमान को बनाने की योजना बनाई थी। इसके बाद इसे बनाने की जिम्मेदारी भारत की हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड कंपनी को दे दी गई, जहां काफी प्रयास और कड़ी मेहनत के बाद इसे बनाया गया।
असल में एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान एसयू-27 और एसयू-37 फाइटर प्लेन का मिश्रण है। एसयू-30 एमकेआई के विस्तार से पहले से यह दोनों लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल हैं। बस फर्क इतना है कि एसयू-30 एमकेआई नई तकनीक से पूरी तरह लैस है और इसके उड़ने की क्षमता भारत के अन्य फाइटर विमानों से काफी अधिक है।
भारतीय वायु सेना में शामिल हो चुका यह लड़ाकू विमान नई तकनीक से पूरी तरह लैस है। अपनी उड़ने की क्षमता, हवा और ज़मीन में तेज़ी से मिसाइलें दागने के कारण यह भारतीय वायु सेना का सबसे अहम लड़ाकू विमान बन चुका है। इस विमान को टाइटेनियम और उच्च तीव्रता वाले एल्यूमीनियम धातुओं से तैयार किया गया है। बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि भारत की क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण इस लड़ाकू विमान की मदद से ही किया गया था। साल 2016 में भारतीय वायुसेना के नासिक एयरबेस पर ढाई टन वजनी ब्रह्मोस मिसाइल को इस लड़ाकू विमान में अटैच कर आसमान में परीक्षण के लिये भेजा गया था।

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