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पांच सौ करोड़ से ज्यादा के कर्जदारों के नाम खोले सरकारः सुप्रीम कोर्ट

ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह उन कारपोरेट कर्जदारों के नाम सार्वजनिक कर दे जिन पर 500 करोड़ रुपए से अधिक की रकम बकाया है. इस काम के लिए सरकार को चार हफ्ते का समय दिया गया है. अदालत ने नाम गुप्त रखने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए तर्कों को नहीं माना.
अदालत ने इसके साथ ही सरकार से वसूली के उन मामलों के बारे में ‘व्यावहारिक आंकड़ा’ भी उपलब्ध कराने को कहा गया है जो ऋण वसूली न्यायाधिकरणों व उनके अपीलीय निकायों में दस साल से लंबित हैं. देश की शीर्ष अदालत ने बैंकों के बढते फंसे कर्ज का संज्ञान लेते हुए यह निर्देश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर व न्यायाधीश ए एम खानविलकर तथा डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने डीआरटी व ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरणों (डीआरएटी) में बुनियादी ढांचे व श्रम बल की कमी पर खिन्नता जताई. न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामलों के त्वरित निपटान के लिए विधायी बदलाव तब तक प्रभावी नहीं होंगे जब तक काम के बोझ के हिसाब से बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं करवाया जाता.
न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि विभिन्न सम्बद्ध मुद्दों के बारे में एक हल्फनामा दाखिल करे.
इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र से कहा है वह ‘दस साल से अधिक समय से लंबित मामलों के बारे में प्रायोगिक आंकड़ा तथा 500 करोड़ रुपए से अधिक राशि की कर्जदार कॉरपोरेट इकाइयों की सूची सौंपे.’ डीआरटी व डीआरएटी में बुनियादी ढांचे की कमी के संदर्भ में न्यायालय ने पूछा, ‘डीआरटी व डीआरएटी में कर्मचारियों की स्थिति व न्यायिक अधिकारियों सहित मौजूदा बुनियादी ढांचे के साथ क्या संशोधित कानून में तय समयसीमा को हासिल किया जा सकता है.’

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