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‘पद्मावत’ पर लगा प्रतिबंध हटा, करणी सेना ने रिलीज के दिन किया ‘जनता कर्फ्यू’ का आह्वान

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हिंदी फिल्म ‘पद्मावत’ की 25 जनवरी को देशभर में रिलीज का रास्ता साफ कर दिया. शीर्ष अदालत ने भाजपा शासित चार राज्यों द्वारा इस विवादित फिल्म के प्रदर्शन पर लगायी गयी रोक हटा दी. इस फिल्म को लेकर राजपूत और दक्षिणपंथी संगठनों ने हिंसक प्रदर्शन किया था. यह आदेश आने के बाद, राजपूत संगठन ‘करणी सेना’ के कार्यकर्ताओं ने हाथ में तलवारें लेकर बिहार के मुजफ्फरपुर में एक सिनेमाघर पर हमला किया और फिल्म के पोस्टर फाड़ दिये. पुलिस ने यह जानकारी दी. करणी सेना के संरक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी ने लोगों से फिल्म की रिलीज की तारीख 25 जनवरी के दिन पूरे देश में फिल्म को लेकर ‘जनता कर्फ्यू’ लगाने का आह्वान किया है. फिल्म के विरोध में कुछ शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी हुए और एक पद्मावत विरोधी संगठन ने जल्द ही सड़कों पर उतरने की धमकी भी दी.
हालांकि, बालीवुड ने शीर्ष अदालत के फैसले की प्रशंसा की और कहा कि भारतीय न्यायपालिका में उसका भरोसा मजबूत हुआ है. शीर्ष अदालत ने अन्य राज्यों पर फिल्म के प्रदर्शन पर पाबंदी लगाने की इस तरह की अधिसूचना या आदेश जारी करने पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणबीर सिंह अभिनीत फिल्म की रिलीज को मंजूरी दी और राजस्थान और गुजरात सरकारों द्वारा इस फिल्म के प्रदर्शन पर पाबंदी के लिए जारी आदेश और अधिसूचना पर रोक लगायी. हरियाणा और मध्य प्रदेश सरकारों ने कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किये थे, लेकिन कहा था कि वे फिल्म के प्रदर्शन को अनुमति नहीं देंगे. इस फिल्म की कहानी 13वीं सदी में महाराजा रतन सिंह एवं मेवाड़ की उनकी सेना और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षतावाली पीठ ने कहा कि रंगमंच और सिनेमा जैसी रचनात्मक सामग्री संविधान के तहत दी गयी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के ‘अभिन्न पहलू’ हैं. अदालत ने कहा कि कानून व्यवस्था कायम रखना राज्यों का दायित्व है. पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि जारी की गयी इस तरह की अधिसूचना और आदेशों के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी. इस मामले में इस तरह की अधिसूचना अथवा आदेश जारी करने से हम अन्य राज्यों को भी रोक रहे हैं.’ सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा,‘जब फिल्म के प्रदर्शन को इस तरह रोका जाता है तो मेरा संवैधानिक विवेक मुझे टोकता है.’ फिल्म के अन्य निर्माताओं समेत वायकॉम18 की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि राज्यों के पास फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने जैसी ऐसी अधिसूचना जारी करने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाण पत्र जारी कर चुका है. मामले पर आगे की सुनवाई 26 मार्च को होगी.
राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार इस फैसले का अध्ययन करके किसी कानूनी चुनौती पर फैसला करेगी. गुजरात सरकार ने भी इसी तरह का रुख अपनाया है. उधर, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को सुने बिना आदेश दिया. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय शीर्ष है इसलिए हम फैसले का पालन करेंगे. दीपिका और संजय लीला भंसाली के सिर पर दस करोड़ रुपये का इनाम कथित रूप से घोषित करनेवाले राजपूत नेता सूरज पाल अमू ने कहा कि वह शांतिपूर्ण ढंग से इस फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखेंगे.
गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश की सरकारों ने एलान किया था कि वे अपने अपने राज्यों में पद्मावत के प्रदर्शन की अनुमति नहीं देंगी. गुजरात, राजस्थान, हरियाणा राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि अधिसूचना और आदेश केवल गुजरात और राजस्थान राज्यों की ओर से ही जारी किये गये थे. मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई या तो शुक्रवार को की जाये या फिर 22 जनवरी को ताकि राज्य दस्तावेजों का अध्ययन करें और अदालत की मदद कर सकें. उन्होंने कहा कि इन राज्यों में कानून व्यवस्था की समस्या के बारे में खुफिया रिपोर्ट है और फिल्म को प्रमाणपत्र देते समय सीबीएफसी ने इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया. एएसजी ने कहा कि हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कभी भी तथ्यों से छेड़छाड़ शामिल नहीं हो सकती.
साल्वे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एक बार जब सीबीएफसी ने फिल्म को प्रमाणपत्र दे दिया तब राज्य इसके प्रदर्शन पर रोक नहीं लगा सकते. रोहतगी ने दलील दी कि जब सीबीएफसी ने फिल्म को प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया है तब राज्य ‘सुपर सेंसर बोर्ड’ की तरह काम नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि राज्यों का दायित्व कानून व्यवस्था बनाये रखना है. निर्माताओं का तर्क था कि सीबीएफसी के आदेशानुसार, शीर्षक सहित फिल्म में बदलाव किया जा चुका है. उनकी अपील में कहा गया है कि फिल्म को सीबीएफसी ने मंजूरी दे दी है फिर राज्य इस पर रोक नहीं लगा सकते. किसी खास क्षेत्र में कानून व्यवस्था की समस्या के चलते इसके प्रदर्शन को वहां रोका जा सकता है. पिछले साल जयपुर और कोल्हापुर में जब फिल्म की शूटिंग चल रही थी तब करणी सेना के कथित सदस्यों ने इसके सेट पर तोड़फोड़ तथा इसके निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ धक्का-मुक्की की थी.
वहीं, उज्जैन में फिल्म के मुखर विरोधी संगठन श्री राजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी ने लोगों से फिल्म की रिलीज की तारीख 25 जनवरी के दिन पूरे देश में फिल्म को लेकर ‘जनता कर्फ्यू’ लगाने का आह्वान किया. कालवी ने मीडिया से चर्चा करते हुए दावा किया, ‘इस फिल्म का विरोध अब केवल राजपूत समाज ही नहीं, बल्कि सभी समाजों के लोग कर रहे हैं. हम जनता से अनुरोध करते हैं कि फिल्म के रिलीज होने की तारीख 25 जनवरी को पूरे देश में सामाजिक जनता कर्फ्यू लगाया जाये.’ कालवी उज्जैन में राजपूत समाज के कार्यक्रम में शामिल होने आये थे.

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