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पटना जू में तीन बाघ शावकों का जन्म

ताज़ा समाचार, बिहार

मृत्युंजय मानी, पटना : संजय गांधी जैविक उद्यान में मंगलवार की शाम तीन बाघ शावकों का जन्म हुआ। उद्यान अधिकारी और कर्मी शावकों के जन्म की खुशी से झूम उठे। स्वर्णा (बाघिन) मां बन गई तथा भीमा (बाघ) पिता बन गया है।

उद्यान प्रशासन के समक्ष शावकों को बचाए रखने की चुनौती है। 31 जुलाई 2012 की रात भी तीन शावकों का जन्म हुआ था। तीनों 15 दिनों तक अपनी मां के साथ खूब उछल-कूद किए और मां के अस्वस्थ होने के बाद शावकों को अलग किए जाने के बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका तथा तीनों शावकों की मौत हो गई थी।

उद्यान प्रशासन 31 जुलाई 2102 की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए पहले से सतर्क है। शावकों के जन्म के पहले से उद्यान निदेशक एस. चंद्रशेखर मैसूज चिड़ियाघर के चिकित्सकों से सीधे संपर्क में हैं। उनके सलाह पर शावक एवं उसकी मां की देखरेख की जा रही है। शावकों की निगरानी क्लोज सर्किट कैमरा से की जा रही है। स्वर्णा नामक बाघिन 105 दिनों तक गर्भ धारण के बाद बच्चे को जन्म दी है। बच्चे पुरी तरह से स्वस्थ्य हैं।

उद्यान प्रशासन शावकों को बीमारियों से बचाने के लिए भरपुर व्यवस्था किया है। बाघ केज की मिट्टी भी बदल दी गई है। केज, नाइट हाउस और डिलेवरी रूम को कीटाणु मुक्त बना दिया गया है। स्थानीय उद्यान में 19 वर्षो के बाद 31 जुलाई 2012 को तीन बाघ शावकों का जन्म हुआ थी। फिर 19 माह बाद तीन शावकों का जन्म हुआ है। उद्यान में 1983 से 1993 के बीच बाघ शावक पैदा हुआ करते थे। बाघ शावक सात से 10 दिनों के बाद आंख खोलते हैं। अभी इन्हें दिख नहीं रहा है। स्वर्णा अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी है।

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