नेता जी की बात काटने की हैसियत किसी की नहीं-शिवपाल
उत्तर प्रदेश, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार September 15, 2016 , by ख़बरें आप तकसमाजवादी पार्टी में चल रही घमासान गुरुवार को देर रात अचानक तेज हो गई। शिवपाल सिंह यादव ने पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और फिर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें मंत्री पद से भी इस्तीफा सौंप दिया। माना जा रहा है कि शिवपाल अपने विभाग छीने जाने के तौर-तरीके से खिन्न थे। फिलहाल समाजवादी पार्टी का सियासी संकट थमता नज़र नहीं आ रहा है। शिवपाल को मनाने की दिन भर चली सभी कवायदें फेल हो गईं। मुख्यमंत्री ने फिलहाल उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। वैसे शिवपाल अपने फैसले पर अड़े हुए हैं।
दिन भर चढ़ा सियासी पारा देर रात अचानक अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात के बाद और तेज हो गया। दोनों में पंद्रह मिनट की मुलाकात हुई। शिवपाल ने गुरुवार शाम मुलायम सिंह यादव से करीब एक घंटे की मुलाकात की लेकिन बात नहीं बनी। इसी के दौरान उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा मुलायम सिंह यादव को दे दिया। इसके बाद वह सीधे मुख्यमंत्री के आवास पहुंचे और वहां उनसे मुलाकात के बाद उन्हें भी मंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया।शिवपाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे आए हैं और सामान्य कार्यकर्ता की तरह पार्टी के लिए काम करेंगे।
शिवपाल ने कहा कि जिस तरह उनके विभाग छीने गए, उन्हें नहीं लगता कि नेताजी मुलायम सिंह यादव से पूछा गया होगा। उन्होंने कहा कि मुझे विभागों की परवाह नहीं। इन विभागों में मैंने पूरा काम कर ही दिया है।
इससे पहले पार्टी को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव से बात करने के लिए राम गोपाल यादव को लखनऊ भेजा था। वहीं दूसरी ओर आहत शिवपाल सिंह यादव को मनाने की कोशिशें तेज कर दी गईं। सुबह राम गोपाल यादव ने यह कह कर मुख्यमंत्री अखिलेश का पक्ष लिया कि उन्हें सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना गलती थी। जब सीएम को अध्यक्ष पद से हटाया गया, तो उनसे इस्तीफा मांग लेते। उन्होंने यह कह कर संतुलन लाने की कोशिश की कि मैं मुख्यमंत्री होता तो राज किशोर को बर्खास्त न करता।
दिन भर के घटनाक्रम में यह तय हुआ था कि शिवपाल सिंह यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे और मंत्री पद नहीं छोड़ेंगे लेकिन देर रात उन्होंने इस्तीफा देकर सभी को हैरत में डाल दिया।
इसके पूर्व शिवपाल दोपहर एक बजे लखनऊ पहुंचे तो उन्होंने सधे अंदाज में कहा कि अब तो चुनाव में जाना है। चुनाव नजदीक हैं अच्छा है हम एक रहें। बोले- नेताजी ने जो भी फैसला किया, किसको पार्टी में शामिल करेंगे, हटाएंगे, किसे जिम्मेदारी देंगे। यह नेताजी तय करते हैं। उनकी बात काटने की हैसियत किसी की नहीं है। उन्होंने यह बात गुरुवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कही। बोले-मुझे तो नेताजी भी स्वीकार हैं और अखिलेश भी। वह नाराज नहीं हैं। विभागों से बड़ी जिम्मेदारी संगठन की है।
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