नीतीश पसंद नहीं तो सरकार छोड़े राजद: कांग्रेस
आमने सामने, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, बिहार September 13, 2016 , by ख़बरें आप तकपूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद सिंह और बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बयानों से जदयू और राजद में पैदा हुई दरार ने मंगलवार को कांग्रेस के हस्तक्षेप से नया मोड़ ले लिया। कांग्रेस ने दो टूक कहा कि अगर राजद को नीतीश कुमार पसंद नहीं हैं तो वह सरकार से बाहर हो जाए। उधर, आठ दिन बाद पटना लौटे लालू प्रसाद ने रघुवंश प्रसाद सिंह को नसीहत दी कि वह बेमतलब चीटी न काटें। जदयू ने प्रेस कान्फ्रेंस कर सोमवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से अपील की थी कि वह रघुवंश प्रसाद सिंह पर लगाम लगाएं। इस बीच भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को भी प्रेस कान्फ्रेंस कर शहाहबुद्दीन की रिहाई पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
जदयू के बाद मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज कोई विवशता नहीं है। अगर राजद यह महसूस करता है कि वह इस राज्य सरकार के साथ सहज नहीं है तो अपने आप को वापस कर ले। उसको यह छूट है। लेकिन सरकार में रहकर सरकार के मुखिया के औरा (छवि) को गिराना गलत है। डॉ. चौधरी ने कहा कि मैं समझता हूं जबतक हैं इस सरकार को अपना सर्वोत्तम योगदान दें।
बयानबाजी करना गलत : डॉ. चौधरी ने कहा कि बयानबाजी करना गलत है। जो बयानबाजी करते हैं, उनपर कार्रवाई होनी चाहिए। विषम परिस्थितियों में भाजपा को रोकने के लिए महागठबंधन बना। यह सही है कि महागठबंधन के प्रत्येक दल के अपने-अपने नेता हैं, लेकिन सबने मिलकर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री चुना है। जबरदस्ती किसी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है। जदयू को को भी प्रेस कान्फ्रेंस नहीं करना चाहिए। महागठबंधन में किसी को शिकायत है तो अपने दल के नेता के समक्ष अपनी बात रख सकता है।
नीतीश रणनीति के तहत सीएम : डॉ. चौधरी ने कहा कि तीनों दलों के शीर्ष नेता आपस में बातकर समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं। शीर्ष नेताओं की बातचीत से महागठबंधन का फोरम भी बन सकता है। डॉ. चौधरी ने पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि नीतीश कुमार किसी परिस्थति के नहीं रणनीति के तहत मुख्यमंत्री हैं।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने पार्टी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह को नसीहत दी कि वह बेमलतब चीटी नहीं काटें। कहा कि वह जानबूझकर चीटी काटते रहते हैं। खाली पिच देखकर बैटिंग करने लगते हैं। हर बॉल पर बैटिंग करने की उनकी आदत बुरी है। हम दमकल हैं। बड़े भाई भी हैं। कोई भी आग बुझाने में सक्षम हैं।
राज्य सरकार ठीक काम कर रही है। नीतीश कुमार निश्चिंत होकर जनता का काम करें। एक सप्ताह के दिल्ली और यूपी प्रवास के बाद मंगलवार को पटना लौटे श्री प्रसाद ने शहाबुद्दीन की जमानत के बाद हो रही बयानबाजी पर कहा कि महागठबंधन के सभी नेताओं को कोई परेशानी है, तो अपने अध्यक्ष को बताना चाहिए। परेशानी वहां से दूर नहीं होगी तो मैं, नीतीश कुमार और दूसरे लोगों के साथ बैठकर मामले को सलटाउंगा। किसी को बिना वजह चिढ़ाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार का मतलब अकेले नीतीश कुमार नहीं, महागठबंधन के तीनों दल हैं। शहाबुद्दीन के बेल के लिए सभी जिम्मेवार हैं। कहा कि नीतीश सीएम हैं और इस नाते उन्हें विपक्ष के सवालों का सीधे जवाब देना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि प्रवक्ताओं द्वारा मुझे गाली दिलवाने की बजाय वे बताएं कि तीन साल से सभी ट्रायल क्यों बंद थे। गाली दिलवाना है तो रघुवंश प्रसाद को दिलवाएं।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने शहाबुद्दीन के बेल पर उठ रहे सवालों पर कहा कि मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा हूं। जमानत तो कोर्ट से मिली है। बावजूद इसका भी ख्याल रखना होगा कि वह 11 साल से जेल में थे।
नीतीश कुमार के बारे में शहाबुद्दीन के बयान पर उन्होंने कहा कि उन्होंने हमें नेता कहा है, तो क्या गलत किया है। अनंत सिंह ने भी नीतीश कुमार को नेता कहा था। किसी को तकलीफ नहीं है। सब बेकार की बात है।
उन्होंने कहा कि अनंत सिंह पर सीसीए लगे या नहीं लगे, इसका मुझे नहीं पता है। लेकिन भाजपा नेताओं को इतना भी ज्ञान नहीं है कि सीसीए उसी पर लगता है जो जेल के भीतर होता है। उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि सुशील मोदी फजुला बात करते हैं। शहाबुद्दीन मुसलमान है, इसलिए उसका विरोध कर रहे हैं।
यूपी चुनाव में सपा के साथ रहेगा राजद : यूपी चुनाव से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा को देशभर में रोकना है। इसलिए वहां वह समाजवादी पार्टी के साथ प्रचार करेंगे। यूपी चुनाव में उनकी पार्टी मुलायम सिंह के साथ रहेगी।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि एक को छोड़कर सीवान में चल रहे शहाबुद्दीन से जुड़े सभी मामलों के ट्रायल तीन साल से बंद हैं। जिन मामलों में गवाही हो चुकी है, फैसला आना था वह भी स्थगित हैं।
आरोप लगाया कि सरकार ने शहाबुद्दीन को लेकर शुतुरमुर्ग जैसा आचरण किया है, अपनी आंखें बंद रखी हैं। लेकिन जिस तरह शुतुरमुर्ग के गर्दन झुका लेने से आंधी कम नहीं होती उसी तरह सरकार के आंख मूंदने से शहाबुद्दीन का आतंक कम नहीं हुआ है। मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री मोदी ने कहा कि शहाबुद्दीन को मिली जमानत से भी बड़ा मामला है तीन साल से ट्रायल का बंद होना। जिनमें ट्रायल बंद हैं उनमें कई ऐसे मामले हैं जिनको लेकर शहाबुद्दीन को मृत्युपर्यंत सजा हो सकती थी। फिर वे बेल पर छूटे नहीं होते।
श्री मोदी ने कहा कि करोड़पति शहाबुद्दीन ने एडीजे के यहां आवेदन देकर कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है अपने खर्च पर मुकदमा लड़ सके।
मनपसंद वकील रखने और उसकी फीस स्पेशल पीपी के समतुल्य देने की मांग की। तीनों बातों की अनुमति एडीजे ने 18 जुलाई 2013 को दे दी। सरकार ने इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका डाली। हाईकोर्ट ने एडीजे के आदेश को स्टे कर दिया। कोर्ट ने शहाबुद्दीन को सामान्य और रजिस्ट्री से नोटिस भेजने और कोर्ट में पेश करने को कहा। शहाबुद्दीन तीन साल सीवान जेल में रहे लेकिन सरकार ने न तो नोटिस सर्व किया और न ही उन्हें कोर्ट में हाजिर कराया।
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