नाराज शरद यादव ने चुनावी गतिविधियों से खुद को अलग कर लिया,मनाने का प्रयास शुरू
आमने सामने, चुनाव, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, बिहार, विधान सभा September 24, 2015 , by ख़बरें आप तकबिहार में सत्ता वापस पाने के लिए जहां नीतीश कुमार अपने नए जोड़ीदार लालू यादव के साथ रात दिन एक किए हुए हैं वहीं उनके पुराने साथी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की उनसे मतभेदों की खबरें भी आ रही हैं।माना जा रहा है पार्टी गतिविधियों में ज्यादा हस्तक्षेप और टिकट बंटवारे में तवज्जो न मिलने से नाराज शरद यादव ने चुनावी गतिविधियों से खुद को अलग कर लिया है।इस बात को इससे भी बल मिलता है कि पिछले कुछ समय से पार्टी की प्रेस कान्फ्रेंस के अलावा बड़ी गतिविधियों में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष गैरमौजूद रहे हैं, चाहे वो सीटों की घोषणा की बात हो या उम्मीदवारों के नामों का ऐलान।सभी जगह पार्टी के चेहरे के तौर पर नीतीश कुमार ही दिखाई दिए हैं। वहीं इस बात को लेकर विपक्षियों ने भी पार्टी पर निशाना साध दिया है। कुछ दिन पहले रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने तंज कसा था कि नाराज शरद यादव ने पटना छोड़कर दिल्ली में डेरा जमा लिया है।
यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय रहने वाले शरद यादव पिछले कुछ समय से चुप्पी साधे बैठे हैं। न वो पार्टी की बैठकों में भाग ले रहे हैं न बड़े कार्यक्रमों में। चुनाव प्रचार से भी उन्होंने खुद को अलग रखा हुआ है।
सूत्रों की मानें तो पार्टी और सरकार में लालू यादव के बढ़ते हस्तक्षेप से शरद यादव नाराज हैं। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद सुप्रीमो लालू यादव को कुछ ज्यादा ही तवज्जो दे रहे हैं।
अपनी पार्टी के जरूरी मामलों में भी वह लालू से सलाह लेने से नहीं चूक रहे। लालू के दबाव का ही असर है कि सीटों की घोषणा करते समय लालू के दोनों बेटों के लिए जेडीयू को अपने मौजूदा विधायकों का टिकट भी काटना पड़ा। इससे भी शरद नाराज बताए जा रहे हैं।इसके अलावा समजावादी पार्टी के महागठबंधन से अलग होने पर भी शरद यादव की नाराजगी बताई जा रही है। मुलायम सिंह को महागठबंधन से जोड़ने में सबसे बड़ी भूमिका शरद यादव ने ही निभाई थी।
ऐसे में जिस तरह से सपा को महागठबंधन में दरकिनार किया गया और फिर मुलायम ने अपना नाता तोड़ लिया इस सारे वाकये से शरद यादव काफी आहत बताए जा रहे हैं। मुलायम सिंह ने गठबंधन टूटने के लिए नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया था। शरद मुलायम के अच्छे दोस्तों में माने जाते हैं।
हालांकि मौके की नजाकत को भांपते हुए शरद यादव को समझाने मनाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शरद की नाराजगी दूर करने में लगे हुए हैं।
पार्टी को डर है कि अंदर की यह लड़ाई अगर सतह पर आ गई तो चुनावों में जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसलिए पार्टी ने समय रहते डैमेज कंट्रोल की तैयारी शुरू कर ली है।
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