Comments Off on नहाय खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व, छठआज हो रही खरना की पूजा 6

नहाय खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व, छठआज हो रही खरना की पूजा

ऑडियो, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, प्रमुख ख़बरें, बड़ी ख़बरें, बिहार, विडियो

नहाय खाय के साथ गुरुवार को छठ के पावन पर्व का आगाज हो गया है। व्रतियों ने नहाने के बाद नए वस्त्र धारण कर चावल के साथ घीया व चने की दाल बनाकर खाई। इसके बाद से अगले तीन दिन तक व्रत रखा जाएगा। इसमें शुक्रवार को व्रती खरना की विधि करेंगे। पूरा दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को व्रती गुड़ की खीर व रोटी का शाम को प्रसाद के रूप में सेवन करेंगे। इसके बाद शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा। रविवार को पारन की विधि की जाएगी।
बाजार में खरीदारी को लेकर रही हलचल
पूजन को लेकर लोगों ने गुरुवार को भी बाजारों में परिवार समेत पहुंच कर खरीदारी की। इसमें दउरा, सूप व डगरा समेत अन्य चीजों की खरीदारी की गई। नहाय खाय से ही व्रतियों को पूरी पवित्रता का पालन करना होता है। ऐसे में व्रती इस दिन आम की लकड़ियों की आंच पर नए चूल्हे पर खाना पकाती हैं।
पूरे घर में रहता है पवित्रता का माहौल रहता
वहीं पूरे घर में पवित्रता का माहौल रहता है। करोलबाग निवासी मंजू झा ने बताया कि छठ के पावन पर्व पर पवित्रता का ध्यान रखना होता है। इस पर्व के दौरान व्रती जमीन पर ही सोते हैं। विशेषतौर पर पूजा वाले स्थान के पास ही सोया जाता है। घर में किसी भी प्रकार का बाहरी भोजन नहीं खाया जाता है। पर्व में सिर्फ घर का ही शुद्ध शाकाहारी भोजन ही प्रसाद के रूप में लिया जाता है।
घाटों पर भी पूरी हुई तैयारियां
नहाय खाय के बाद छठ घाटों पर भी तैयारियां पूरी हो गई हैं। कश्मीरी गेट स्थित कुदेसिया घाट व आइटीओ घाट पर भी गुरुवार को तैयारी देखने को मिली। कश्मीरी गेट स्थित घाट पर भी बल्लियों को गाड़ दिया गया है। इस पर आगे जाने पर गहरे पानी की भी चेतावनी लिखी गई है। इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मंच तैयार करने के साथ लोगों के रुकने के लिए टेंट की भी व्यवस्था की गई है।
सज रहे घाट
घाट किनारे की मिट्टी को काटकर सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। पूजन के लिए वेदियां भी तैयार की जा रही हैं। दूसरी ओर आइटीओ घाट पर भी तैयारियां जोरों पर है। यहां पर व्रतियों के रुकने के लिए भी टेंट की व्यवस्था की गई है। पूजा समिति के उपाध्यक्ष आशीष पांडे ने बताया कि इस बार 70 वेदियों को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा लखनऊ के कलाकारों की ओर से भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
दिल्ली सरकार से की मुफ्त बिजली की मांग
आइटीओ घाट स्थित पूजा समिति ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कार्य को लेकर रोष जताया है। पूजा समिति का कहना है कि पीडब्ल्यूडी का इस बार छठ घाट पर तैयारियों को लेकर ढुलमुल रवैया रहा है। यही कारण है कि इस बार छठ घाट पर व्यवस्था को सुधारा नहीं गया है। दूसरी ओर समिति ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि जिस प्रकार सरकार ने दिल्लीवासियों के लिए मुफ्त बिजली की है, इसका लाभ पूजन समितियों को भी मिलना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में पूजन समितियां इसके लिए अलग से बिल का भुगतान करती हैं।लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान गुरुवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया है। व्रत के दूसरे दिन आज शाम में खरना की पूजा हो रही है। खरना के लिए व्रतियों ने सुबह से निर्जला व्रत रखा है, जिसके बाद आज शाम में व्रती गेहूं के आटे की रोटी, गुड़़-चावल और दूध से बनी खीर के साथ फल-फूल, मिठाई से खरना की पूजा कर रहीं हैं। पूजा के बाद वे प्रसाद ग्रहण करेंगी। उसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।
खीर के अलावा पूजा के प्रसाद में मूली, केला भी रखा जाता है। इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर प्रसाद तैयार किया जाता है। व्रती महिलाएं भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करने के बाद ही शाम में प्रसाद ग्रहण करती हैं। उसके बाद घर-परिवार, सगे संबंधी खरना का प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना का प्रसाद खाने के लिए दूर-दूर से लोग व्रती के घर आते हैं।
खरना पूजा व अर्घ्य मुहूर्त
खरना पूजा – शुक्रवार शाम – 5.32 बजे से 7.40 बजे तक
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य – शनिवार शाम 5.32 बजे तक
प्रात:काल सूर्य को अर्घ्‍य- रविवार सुबह 6.29 बजे के बाद
गुरुवार को व्रतियो ने किया नहाय-खाय
इससे पहले गुरुवार को व्रतियों ने सुबह गंगा स्नान करने के बाद नहाय-खाय का प्रसाद, पवित्र तरीके से कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल बनाया। व्रती के प्रसाद का सेवन करने के घर के लोगों ने वही प्रसाद ग्रहण किया। कुछ लोगों ने नदियों के तट पर ही प्रसाद बनाया तो कुछ लोगों ने घर में नहाय-खाय की पूजा की।
पटना के छठ घाटों पर मेले जैसा माहौल
कल से पटना के गंगातट पर बिल्कुल मेले-सा नजारा देखने को मिल रहा है। रातभर लोगों के गंगातट पर रुकने की व्यवस्था की गई है। दूर-दूर से लोग यहां छठ की पूजा करने आ रहे हैं। छठ के गीतों से गंगा तट पर बने छठ के घाट गुंजायमान हैं। पूरा शहर छठमय नजर आ रहा है। व्रती के साथ पूरा परिवार छठ घाट पर आज से चार दिनों तक साथ रहेगा। भक्तिभाव का एेसा संगम विरले ही देखने को मिलता है।
नहाय-खाय के बाद खरना आज
छठ के पहले दिन दिन कद्दू-भात के प्रसाद का महत्व होता है। वहीं पर्व के दूसरे दिन व्रती सुबह से निर्जला उपवास कर रहीं हैं। दिनभर घर या नदी किनारे व्रती गंगाजल से साफ-सफाई करेंगी। शाम में मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर पीतल या मिट्टी के बरतन में गुड़, चावल और दूध से खीर बनाएंगी। फिर गंगाजल से धुले गेहूं को पिसवाकर रखे आंटे से पूड़ी या रोटी बनाएंगी। शाम होते ही छठी मईया की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी। तत्पश्चात घर के बाकी लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे।
छठ को लेकर पटना के एनआइटी घाट, काली घाट दरभंगा हाउस, दीघा घाट, बांस घाट सहित प्रमुखों घाटों को चुस्त-दुरुस्त कर दिया गया है। बुधवार से बाजारों में भी चहल-पहल दिखाई पड़ रही है। व्रती अपने परिवार के साथ बाजार में पूजन सामग्री की खरीदारी करते नजर आ रहे हैं। पंडित राकेश झा ने कहा कि सौम्य एवं स्थिर योग में चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न होगा।
घाट से लेकर सड़क तक रोशनी से है सराबोर
छठ को लेकर घाट से लेकर सड़क सभी रोशनी से सराबोर हैं। रंगीन और दुधिया रोशनी से जगमग करतीं सड़कों और घाटों की भव्यता देखते बन रही है। विभिन्न पूजा समितियों की ओर से बेहतर पंडाल बनाए गए हैं। वही घाट से लेकर सड़कों तक गूंज रहे छठी मइया के गीत शहर को छठमय बना रहे हैं।
चार दिवसीय अनुष्ठान के मौके पर ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग
पंडित राकेश झा ने कहा कि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को रवियोग में गुरुवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो गया है। वहीं शुक्रवार को व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत कर तीन नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देेने के साथ व्रत का समापन करेंगी।
शनिवार दो नवंबर को व्रती सायंकालीन अर्घ्य त्रिपुष्कर योग में देंगी। वही तीन नवंबर रविवार को उदीयमान सूर्य को सर्वार्थ-सिद्धि योग में भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगी। पंडित झा ने पुराणों के हवाले से बताया कि सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है।
स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था। राजा प्रियव्रत कुष्ठ रोग से प्रभावित थे। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए छठ का व्रत किया था।
भगवान सूर्य की मानस बहन हैं षष्ठी देवी
पंडित झा की मानें ने भगवान सूर्य की मानस बहन षष्ठी देवी हैं। षष्ठी देवी को देवसेना भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है। विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। ऐसे में उन्हें सप्तमी का स्वामी कहा जाता है। छठ महापर्व खास तौर पर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है।
व्रत में इन चीजों की है महत्ता
सूप, डाला – अर्घ्य में नए बांस से बने सूप व डाला का प्रयोग किया जाता है। सूप को वंश की वृद्धि और वंश की रक्षा का प्रतीक माना जाता है।
ईख – ईख को आरोग्यता का प्रतीक माना जाता है। लीवर के लिए ईख का रस काफी फायदेमंद माना जाता है।
ठेकुआ – आटे और गुड़ से बना ठेकुआ समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
ऋतुफल – छठ पूजा में ऋतुफल का विशेष महत्व है। व्रती मानते हैं कि सूर्यदेव को फल अर्पित करने से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।
पष्ठी तिथि को शाम को सूर्यदेव की पूजा के लिए गंगा-यमुना के विभिन्न घाटों पर हजारों श्रद्धालु एकत्र होंगे। पर्व को लेकर घरों में खासा उत्साह है।

Back to Top

Search