Comments Off on नवरात्री के नौ रातो में तीन हिंदू देवियों – पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा 10

नवरात्री के नौ रातो में तीन हिंदू देवियों – पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा

आधीआबादी, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ऑडियो, कैरियर, कोलकत्ता, गुजरात, चेन्नई, छत्तीसगढ़, झारखंड, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, दिल्ली, पंजाब, प्रमुख ख़बरें, बड़ी ख़बरें, बिहार, मध्य प्रदेश, महानगर, मुम्बई, युवा, राजस्थान, राज्य, विडियो, स्पेशल रिपोर्ट, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश

नवरात्री एक हिंदू पर्व है। नवरात्री संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें । यह पर्व साल में दो बार आता है। एक शारदीय नवरात्री, दूसरा है चैत्रीय नवरात्री। नवरात्री के नौ रातो में तीन हिंदू देवियों – पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं ।
चैत्र आषाढ़, आश्रि्वन और माघ के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक के नौ दिन नवरात्र कहलाते है। इनमें चैत्र के नवरात्र वासंतिक नवरात्र और आश्रि्वन के नवरात्र शारदीय नवरात्र कहलाते है। इनमें आद्याशक्ति जगत जननी सिंह वाहिनी मां दुर्गा की पूजा होती है।
नौ देवियां है- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री।वासंतिक नवरात्र में नौ गौरी दर्शन-पूजन के क्रम में चौथे दिन कुष्मांडा देवी (दुर्गाजी) के दर्शन की मान्यता है। काशी विश्वनाथ मंदिर के आचार्य पद्मश्री प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन पराम्बा जगदम्बिका श्रृंगार गौरी के रूप में भक्तों के कल्याणार्थ अवतरित हुईं। इस दिन भगवती श्रृंगार गौरी के दर्शन से राजपद में व्याप्त बाधाओं का निराकरण होता है और मनोकामना पूर्ण होती है।
भगवती दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप का नाम कुष्मांडा है। अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्मांडा देवी कहा गया है। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार व्याप्त था, तब इन्हीं देवी ने अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। अत: यही सृष्टि की आदि स्वरूपा आदि शक्ति हैं। इनकी आठ भुजाएं हैं। अत: ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, वाण, कमल पुष्प, अमृत कलश, चक्र व गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को लेने वाली जपमाला है। भगवती कूष्माण्डा का ध्यान, स्त्रोत, कवच का पाठ करने से अनाहत चक्र जाग्रत हो जाता है, जिससे समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्री पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमश: अलग-अलग पूजा की जाती है।

Back to Top

Search