नरेंद्र मोदी वाराणसी से अहमदाबाद रवाना,अब दारोमदारआदित्यनाथ पर
आमने सामने, उत्तर प्रदेश, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, प्रमुख ख़बरें September 24, 2017 , by ख़बरें आप तकप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की वाराणसी यात्रा पूरी कर अहमदाबाद रवाना हो गये. वहीं, राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ रवाना हो गये. अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के महीनों बाद के इस अहम दौरे के दौरान उन्होंने वाराणसी के विकास के प्रति अपना गहरा समर्पण जताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरे के दौरान बिना किसी का नाम लिये अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधा और काशी पर तोहफों की बारिश कर दी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके लिए वोट नहीं देश अहम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने अपने दौरे के दौरान उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि योगीजी ने छह महीने में यूपी में कमाल कर दिखाया. यानी मोदी ने जिन उम्मीदों के साथ याेगी को सीएम बनाने का फैसला लिया था, वह अब भी कायम है.
योगी से क्या हैं उम्मीदें और क्या हैं चुनौतियां?
नरेंद्र मोदी के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ दूसरे अहम शख्स हैं. पहले अहम शख्स अमित शाह हैं, जिनके नेतृत्व में अभी संगठन चल रहा है और वे कम से कम जनवरी 2019 तक (अपने कार्यकाल तक) तो पद पर बने ही रहेंगे. शाह पर जहां पूरे देश में पार्टी का दारोमदार है, वहीं योगी आदित्यनाथ पर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश का दारोमदार है, जहां पार्टी ने पिछली बार 80 में 72 सीटें हासिल कीं थी.
पिछले चुनाव में अमित शाह उत्तरप्रदेश के प्रभारी महासचिव थे और उनके नेतृत्व में ही राज्य में हाशिये पर खड़ी पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए बाकी दलों को हाशिये पर भेज दिया और फिर पौने तीन साल बाद विधानसभा चुनाव में भी उसी तरह की प्रचंड जीत दिलायी.
अब स्थिति भिन्न है. मुख्यमंत्री के रूप में फ्रंट फुट पर सीधे योगी आदित्यनाथ हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह के हर कार्य प्रदर्शन व रणनीति को योगी को माइनस कर वोटर कसौटी पर तो नहीं ही कसेंगे. ऐसे में योगी आदित्यनाथ सरकार का कार्यप्रदर्शन और यूपी भाजपा का हर कदम 2019 में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित करेगा. मोदी अभी अगले डेढ़ साल में कई बार अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करेंगे और हर दौरे के साथ चुनावी सक्रियता बढ़ती ही दिखेगी. यह बात तब और महत्वपूर्ण हो जाती है, जब कुछ हलकों में यह चर्चा है कि भाजपा 2018 के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के साथ आम चुनाव करा सकती है.
संतुलन बनाने की कोशिश
पार्टी ने ठाकुर मुख्यमंत्री के बाद एक ब्राह्मण चेहरा महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. अगड़ी जाति के दो बड़े वर्ग को जिनका संयुक्त रूप से 20 प्रतिशत वोट है उन्हें ध्यान में रख कर भाजपा ने संतुलन बनाने की कोशिश की है. वहीं, पिछड़ी जाति के केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम हैं. पार्टी ने उत्तरप्रदेश में दलित नेताओं को भी अच्छी जगह दी है और कुछ को केंद्र की सरकार में भी शामिल किया है. यानी सभी वर्ग तक भाजपा अपनी पैठ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
लेकिन, शाह के मिशन 350 के लक्ष्य को पाने के लिए योगी आदित्यनाथ को पार्टी के मौजूदा संख्या बल को कायम रखना होगा. और यह तब बहुत आसान नहीं होगा जब केंद्र एवं राज्य दोनों जगह सरकार में होने के कारण पार्टी को एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर का भी सामना करना पड़ेगा.
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