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नकदी फसल ब्राह्मी की खेती से किसानों में समृद्धि आएगी

कृषि / पर्यावरण, बिहार

सूबे की धरती अब उगलेगी सोना। यहां नकदी फसल ब्राह्मी की खेती की जाएगी। इससे यहां के किसानों में समृद्धि आएगी, वहीं लोगों की स्मरण शक्ति बढ़ाने में भी यह फसल कारगर साबित होगी। सूबे का एकलौता नूरसराय हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिक शोध में जुट गये हैं। यहां की मिट्टी व जलवायु में ब्राह्मी के बेहतर उपज लेने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि उनके द्वारा खोजी गयी ब्राह्मी की नई नस्ल से सूबे में बेहतर उत्पादन किया जा सकता है।
कॉलेज के तीन वैज्ञानिक इसकी नई नस्ल की शोध में जुटे हैं। अभी वे उसके आचरण व यहां के वातावरण के कारण आने वाले बदलाव का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र पाल, डॉ. सतीश कुमार व डॉ. वीर बहादुर ने बताया कि ब्राह्मी को वानस्पतिक रूप से सेंटेला एसिएटिका के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग बुद्धिवर्द्धक टॉनिक बनाने में होता है।
इसकी पत्तियों का पावडर बनाकर गर्म पानी या गर्म दूध में मिलाकर पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। साथ ही ब्रेन टॉनिक के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। नालंदा जिला समेत पूरे सूबे के किसान सामान्य मौसम में इसकी बेहतर उपज ले सकते हैं। बाजार भाव को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी खेती करने वाले किसानों को पारंपरिक खेती से कई गुना अधिक लाभ होगा। बरसात के मौसम में इसकी रोपाई की जाती है। इसके लत्तर को काटकर खेतों में लगाया जाता है। रोपाई के100 दिन बाद से इसकी पत्तियों व तने को काटकर दवा बनायी जा सकती है।
डॉ. पंचम कुमार सिंह ने बताया कि जल्द ही कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के साथ ही अध्यापकों को दिन में एक बार ब्राह्मी का शर्बत दिया जाएगा। अगले साल से ब्राह्मी की नई नस्ल के पौध लोगों के लिए उपलब्ध करा दिये जाएंगे।

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