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नए डीजीपी बने पीके ठाकुर, अभयानंद बने डीजीपी होमगार्ड

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बिहार सरकार ने कानून व्यवस्था की स्थिति में और बेहतरी लाने के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी अभयानंद को राज्य के पुलिस महानिदेशक पद से हटाकर उनके स्थान पर 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी पी के ठाकुर की प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनाती की है।
पी के ठाकुर वर्तमान में बिहार में सरकारी लोकसेवकों के बीच व्याप्त भ्रष्टाचार पर लागाम लगाने वाले बिहार राज्य निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात थे। एक सितंबर 2011 को बिहार के पुलिस महानिदेशक के पद तैनात हुए अभयानंद जो कि इस वर्ष 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, को प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद से हटाकर होमगार्ड और अग्निशमन सेवा के पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनाती की गई है।
सेवानिवृत्ति में मात्र छह महीने बचे होने के बावजूद अभयानंद के पुलिस महानिदेशक के पद से स्थानांतरण को लेकर प्रदेश में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इसे प्रदेश में हाल के महीनों में राज्य में अपराध में कथित वृद्धि से जोड़कर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अभयानंद का स्थानांतरण गत 17 जून को 51 आईपीएस अधिकारियों के तबादले के बाद हुआ है। बिहार के गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार अपर महानिदेशक (रेल) के पद पर तैनात पारसनाथ को प्रोन्नति प्रदान करते हुए उन्हें पुलिस प्रशिक्षण के पुलिस महानिदेशक के पद पर किया गया है। पुलिस अधिकारियों के बड़े फेर-बदल के दौरान यह कयास लगाया जा रहा था कि डीजीपी अभयानंद को भी इस पद से हटाया जा सकता है।
अभयानंद को बिहार के डीजीपी का पद 2011 में मिला था। उनके पिता जगदानंद भी बिहार के डीजीपी थे। एक पुत्र व एक पुत्री के पिता अभयानंद दो भाई हैं। एक भाई रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी हैं। चार बहनें हैं। लंबी अवधि तक अभयानंद (एडीजी) पुलिस मुख्यालय रह चुके हैं। उस वक्त जिस तरह से स्पीडी ट्रायल को स्पीड देकर उन्होंने ख्याति बटोरी वह बिहार के बाहर भी चर्चा का विषय रहा।
हर माह जिला पुलिस अधीक्षकों को पुलिस मुख्यालय में यह सूचना देना अनिवार्य कराया गया कि स्पीडी ट्रायल के माध्यम से कितने अपराधियों को सजा दिलायी गयी। अभयानंद का यह प्रयोग भी खूब चर्चा में रहा कि उन्होंने सूबे के सभी कनीय पुलिस अधिकारियों का एक डाटा बैंक बनवाया। इसे नियमित रूप से अपडेट किए जाने की व्यवस्था है। इसके माध्यम से यह होता है कि अगर किसी पुलिस अधिकारी का कहीं तबादला हो जाता है तो इस डाटा बैंक पर जाकर उसे आसानी से खोजा जा सकता है। यह गवाही के लिहाज से जरूरी है।
अभयानंद की ख्याति सुपर थर्टी की वजह से भी देश-विदेशों में हुई। यहां बच्चों को आईआईटी की तैयारी करवाई जाती है। उनके अनुसार-‘एक समय उनकी पोस्टिंग उस पद पर हो गयी जहां काम कम था। खाली समय में वे अपने बेटे को खुद पढ़ाने लगे। वह आईआईटी कर गया। इसके बाद मन में यह ख्याल आया कि जब अपने बच्चे को मैं पढ़ा सकता हूं तो फिर दूसरे बच्चों को क्यूं नहीं? बस यहीं से सुपर थर्टी का कांसेप्ट शुरू हो गया। ध्यान समाज के उन बच्चों पर गया जो हाशिए पर हैं लेकिन उनमें मेरिट है। बात आगे बढ़ी और कई बैच आईआईटी में पहुंच गये।’

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