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नए घर में आने से पहले करें गृह प्रवेश की पूजा

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नया घर लेने से पहले घर में पूजा करवाई जाती है। अपना घर होना हर किसी के जीवन का सपना होता है और जब हम नए घर में जाते हैं तो इसी उम्मीद से प्रवेश करते हैं कि घर में हमेशा सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। इसे गृह प्रवेश की पूजा कहते हैं। गृह प्रवेश घर की शुद्धिकरण और सुख शांति के लिए कराया जाता है।
नए घर में हम नई उम्मीदें और सपने लेकर एंट्री करते हैं। ऐसे में पूजा और हवन का बहुत महत्व होता है। हिन्दुओं में ऐसी मान्यता है कि घर में प्रवेश करने से पहले पूजा पाठ और हवन करने से घर में खुशियां आती है और भगवान का वास होता है। कई बार ऐसा होता है कि घर बनाते वक्त वास्तु को बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है, ऐसे में पूजा के दौरान इन सब चीजों की शुद्धि हो जाती है। आपको पता है कि गृह प्रवेश कई प्रकार के होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार गृह प्रवेश तीन प्रकार के होते हैं।
अपूर्व गृह प्रवेश – जब पहली बार बनाये गये नये घर में प्रवेश किया जाता है तो वह अपूर्व ग्रह प्रवेश कहलाता है।
सपूर्व गृह प्रवेश – जब किसी कारण से व्यक्ति अपने परिवार सहित प्रवास पर होता है और अपने घर को कुछ समय के लिये खाली छोड़ देता है तब दोबारा वहां रहने के लिये जाने पर गृह प्रवेश करवाया जाता है।
द्वान्धव गृह प्रवेश – जब किसी परेशानी या किसी आपदा के चलते घर को छोड़ना पड़ता है और कुछ समय पश्चात दोबारा उस घर में प्रवेश किया जाता है तो वह द्वान्धव गृह प्रवेश कहलाता है।
गृह प्रवेश की पूजन विधि
सबसे पहले गृह प्रवेश के लिये दिन, तिथि, वार एवं नक्षत्र को ध्यान मे रखते हुए, गृह प्रवेश की तिथि और समय का निर्धारण किया जाता है। गृह प्रवेश के लिये शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अपने पंडित से पूजन की विधि जान लें और उनसे तारीख भी तय कर लें। पूजा, व्रत और मंत्र उच्चारण के साथ गृह प्रवेश होता है।इन बातों का रखें ध्यान
माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिये सबसे सही समय बताया गया है। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष इसके लिहाज से शुभ नहीं माने गए हैं। मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गाया है। सप्ताह के बाकि दिनों में से किसी भी दिन गृह प्रवेश किया जा सकता है। अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़कर शुक्लपक्ष 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, और 13 तिथियां प्रवेश के लिये बहुत शुभ मानी जाती हैं।
पूजन सामग्रीकलश, नारियल, शुद्ध जल, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, धूपबत्ती, पांच शुभ मांगलिक वस्तुएं, आम या अशोक के पत्ते, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध आदि पूजा के लिए चाहिए होती हैं। गृह प्रवेश की विधिसुबह सुबह अपने घर के द्वार में पाने के पत्ते की बंदनवार लगाएं और कलश की स्थापना करें। गणेश की स्थापना करके उनकी पूजा करें। घर के सभी लोग पूजा स्थल पर मौजूद रहें। पूजा विधि संपन्न होने के बाद मंगल कलश के साथ सूर्य की रोशनी में नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
घर के मुख्य द्वार में घर के कर्ता की बहन या कोई बेटी ही फूल की या आम के पत्ते की या अपने हाथों से बनाकर बंदनवार बांधती है। फूल और रंगोली से घर को सजाया जाता है। एंट्री में गणेश की मुर्ति लगाई जाती है। स्वस्तिक बनाकर पूजा शुरू की जाती है। नए घर में प्रवेश के समय घर के स्वामी और स्वामिनी को पांच मांगलिक वस्तुएं नारियल, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध अपने साथ लेकर नए घर में प्रवेश करना चाहिए। भगवान गणेश की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख, श्री यंत्र को गृह प्रवेश वाले दिन घर में ले जाना चाहिए।
पूजन के बाद सबसे पहले किचन की पूजा होती है। मंदिर और घरों के द्वार पर मोली और रोली से स्वस्तिक के छांटे दिए जाते हैं और घर के अंदर प्रवेश किया जाता है। चूल्हे की पूजा करके गैस ऑन की जाती है और उसमें पानी देकर चावल और कुमकुम से स्वस्तिक बनाया जाता है। उसके बाद कुछ प्रसाद बनाकर पहले भगवान को और बाद में गरीबों को खिलाया जाता है।

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