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दूसरे राज्याें में भी है डिमांड,वुड इंडस्ट्री कलस्टर के रूप में विकसित हुआ मोतीपुर का पनसलवा, चल रहे 800 उद्योग

कृषि / पर्यावरण, ताज़ा समाचार, बिहार

जिले के मोतीपुर प्रखंड के पनसलवा चौक के आसपास का इलाका अब “वुड इंडस्ट्री कलस्टर’ के रूप में विकसित हो गया है। पहले से प्लाईवुड व फर्नीचर निर्माण के लिए विकसित हाे रहे इस इलाके में कोरोना लॉकडाउन के दाैरान मजदूरों के वापस आ जाने से हरियाणा से भी उद्योग इस क्षेत्र में शिफ्ट हाेने लगे हैं। एक ही स्थान पर आरा-फीलिंग मिल व प्लाईवुड की 800 से अधिक छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां यहां लग गई हैं। इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जिले के 50 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। पनसलवा इलाका फोरलेन के बगल में होने से यहां लकड़ियां लाने व यहां से बने उत्पाद को कहीं भेजना भी आसान है। यहां चल रहे उद्योग के लिए मुजफ्फरपुर समेत तिरहुत व दरभंगा प्रमंडल के सभी जिलाें से सेमल, पॉपुलर व अन्य लकड़ियों की खरीद होती है।
मोतीपुर प्लाईवुड संघ के अध्यक्ष रवि चौधरी ने कहा कि पेड़ की कटाई, चिरान-फिलिंग मिल, प्लाइवुड फैक्ट्री समेत फर्नीचर निर्माण में 50 हजार से अधिक मजदूर व व्यापारी जुटे हैं। साथ ही किसानों को भी सेमल, पॉपुलर समेत अन्य लकड़ियों की बेहतर कीमत मिल रही है। इससे उत्साहित किसान बेकार व उसर जमीन में भी पौधे लगाने लगे हैं। उनका कहना है कि अगर इस व्यापार को सरकार व प्रशासन से सहयाेग मिले ताे और अधिक संख्या में लोगों को रोजगार मिलने के साथ सरकार को राजस्व के रूप में करोड़ों रुपए भी मिलेंगे।
मिल जाए उद्योग का दर्जा व लाइसेंस ताे अाैर बढ़ सकता है काराेबार
जिला वन अधिकारी सुधीर कर्ण के अनुसार जिले में 62 आरा मिल व प्लाईवुड कंपनियाें को लाइसेंस दिया गया है। अनिल सिंह ने बताया कि प्लाईवुड निर्माण को उद्योग का दर्जा नहीं मिलने व सरल तरीके से लाइसेंस नहीं दिए जाने से व्यापारियों को काफी परेशानी हो रही है। अपना व्यापार आगे बढ़ाने के लिए उन्हें लाइसेंस के अभाव में बैंक से किसी प्रकार का फाइनेंशियल सपोर्ट नहीं मिल रहा है। इन लकड़ियों के काटने पर कोई रोक नहीं होने के बाद भी चोरी-छिपे व्यापार चलाना पड़ रहा है। दूसरी ओर सरकार को भी प्रत्येक माह करोड़ों रुपए जीएसटी समेत अन्य राजस्व की क्षति हो रही है।
10 से अधिक राज्य और महानगरों में यहां से भेजा जाता है फर्नीचर
प्लाईवुड संघ के सचिव अनिल सिंह ने बताया कि यहां पर पहले कुछ प्लाईवुड की फैक्ट्रियां लगीं। फिर इस पर आधारित आरा मिल व फिलिंग मशीन के बाद अब प्लाइवुड से तैयार होनेवाले फर्नीचर भी बनने लगे हैं। प्लाईवुड के साथ-साथ ये फर्नीचर भी यूपी, गुजरात, दिल्ली, मुंबई, बंगाल, पंजाब समेत 10 से अधिक राज्यों व महानगरों में भेजा जा रहा है। हर माह यहां से 250 करोड़ से अधिक का व्यापार होता है।

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