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दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने और जाम की समस्या से निजात पाने के वास्ते आज दिल्ली में ‘कार फ्री डे’ मनाया गया

दिल्ली

दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने और जाम की समस्या से निजात पाने के वास्ते जन जागरुक अभियान के तहत आज दिल्ली में ‘कार फ्री डे’ मनाया गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मौके पर ”अब बस करें” के स्लोगन के साथ लाल किले से इंडिया गेट तक साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।केजरीवाल उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के साथ खुद भी रैली में शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि कहीं आने जाने के लिए साइकिल की सवारी एक बेहतर विकल्प है। दिल्ली में रास्तों पर साइकिल के लिए एक अलग ट्रैक हो तो बेहतर हो सकता है लेकिन प्रदूषण के स्तर और यातायात नियमों के उल्लंघन के मामलों को देखते हुए फिलहाल दिल्ली की सड़कों पर साइकिल चलाना खतरनाक है।उन्होंने कहा कि लोगों में निजी वाहनों के इस्तेमाल को कम करने और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए ही कार फ्री डे अभियान की शुरुआत की गई है। केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार ने इसके लिए दिल्ली मेट्रो से अपने परिचालन को बढ़ाने का अनुरोध किया है।
सिसौदिया ने कहा कि सार्वजनिक बस सेवा में सुधार आने से अब कार फ्री डे अभियान को सफल बनाने में बहुत मदद मिलेगी। परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि लोगों में जागरुकता लाने के लिए हर महीने की 22 तारीख को कार फ्री डे मनाया जाएगा।
आज के कार फ्री डे अभियान में आम लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में ऑटो चालकों ने भी हिस्सा लिया और लोगों को लाने ले जाने के लिए कई स्थानों पर अपनी मुफ्त सेवाएं भी दी। ट्रैफिक पुलिस की ओर से विशेष प्रबंध किए गए थे जिसके तहत लाल किले, चांदनी चौक और उच्चतम न्यायालय के पास रैली में हिस्सा लेने आने वालों के लिए निजी वाहनों की पार्किंग की विशेष व्यवस्था की गई थी।लाल किले से इंडिया गेट तक कार फ्री डे रूट पर निजी वाहनों पर रोक के कारण इस मार्ग पर 20 अतिरिक्त शटल बस सेवा चलाई गई। तिलक मार्ग पर रिहायशी आवासों में रहने वाले लोगों को रूट बंद होने से परेशानी उठानी पड़ी। उन्होंने कहा कि अभियान एक अच्छी पहल है लेकिन त्योहार के दिन रूट बंद करने से दिक्कत आ रही है।ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में व्यस्ततम घंटों के दौरान रोजाना लोगों के औसतन 90 मिनट ट्रैफिक जाम में बर्बाद हो जाते हैं और साढे ग्यारह करोड़ रुपये का ईंधन बर्बाद होता है। इन व्यस्ततम घंटों में वाहनों की रफ्तार पांच किलोमीटर प्रति घंटे तक सिमट जाती है। यह बड़ी समस्या है जिससे निपटने के लिए आम लोगों में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के इस्तेमाल की आदत डालनी जरुरी है। कार फ्री डे अभियान इसी को ध्यान में रखकर चलाया गया है।
दिल्ली सरकार अब हर माह की 22 तारीख को कार फ्री डे विभिन्न मार्गों पर मनाएगी। इस कॉरिडोर के बाद अब नए कॉरिडोर पर कार फ्री होगा। इसके लिए दिल्ली सरकार चार कॉरिडोर पर विचार कर रही है। इन कॉरिडोर में कनॉट प्लेस आउटर रिंग, बीआरटी कॉरिडोर मूलंचद, शांतिपथ व द्वारका शामिल है। यातायात पुलिस की सलाह के बाद इस पर फैसला होगा।कार बेशक आपकी सहूलियत को बढ़ाती है, लेकिन सार्वजनिक वाहन से एक दिन का सफर आपकी सेहत को सुधार सकता है। सेहत ही नहीं एक दिन का कार फ्री डे समय और पैसे को भी बचाती है। तो बेहतर है कि भले ही एक दिन के लिए, लेकिन कार का मोह छोड़ा जाए…
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में जाम लगाने में कार सबसे अधिक जिम्मेदार होती है। ट्रैफिक में कारों की हिस्सेदारी करीब 49 प्रतिशत होती है। दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत और ऑटो रिक्शा की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत होती है। मौजूदा समय में आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में कारों का औसत प्रतिशत 44 है।
अपोलो के इंटरनल मेडिसन विभाग के डॉक्टर नवनीत कौर ने बताया कि कार से सफर करने के एवज में सार्वजनिक वाहन का प्रयोग करने वाले दिनभर में 300 से 500 कैलोरी बर्न कर लेते हैं। एक अनुमान के मुताबिक मेट्रो और बस से सफर करने वाले रोजाना एक हजार कदम पैदल चलते हैं। पैदल चलना दिल के लिए भी लाभदायक माना गया है जो बीपी को नियंत्रित रखने के साथ हृदय को भी मजबूत रखता है।
सीआरआरआई की रिपोर्ट के अनुसार इंडिया गेट के पास के एक मार्ग कस्तूरबा गांधी मार्ग पर रोजाना 2226 किग्रा ईंधन की बर्बादी होती है। वहीं इस सड़क पर 6,442 किग्रा कार्बन का उत्सर्जन होता है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में इस मार्ग की तुलना में दस गुना अधिक ईंधन की बर्बादी होती है। सेंटर फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया के सर्वे के अनुसार दिल्ली के रोजाना दस करोड़ रुपये ट्रैफिक जाम की वजह से जाया होते हैं।
इंडियन सोसाइटी ऑफ साइक्रायटिक द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार दिल्ली का हर तीसरो व्यक्ति एक महीने में औसतन आठ से दस घंटे ट्रैफिक जाम में बिताता है। जाम मानसिक तनाव को बढ़ाता है, जो रोडरेज बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक है। वहीं सेंटर फाॠर ट्रासफाॠर्मिंग इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार औसतन एक आदमी के प्रतिदिन डेढ़ घंटे ट्रैफिक की वजह से खराब होते हैं।मेट्रो और अन्य सार्वजनिक वाहनों से सफर करना अप्रत्यक्ष रूप से आपके बच्चे की सेहत के लिए उठाया गया आपका पहला कदम साबित हो सकता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार स्कूल जाते हुए बच्चे दो से चार घंटे के सीधे प्रदूषण के संपर्क में होते हैं। कार का मोह छोड़कर प्रदूषण कम करने के मुहिम शुरू की जा सकती है। लग्स फांडेशन ऑफ इंडिया के एक अध्ययन के अनुसार यदि प्रदूषण का स्तर इतना ही बना रहा तो अगले पांच साल में बच्चों को मुंह में मास्क लगाकर स्कूल जाना होगा। प्रदूषण सीधे रूप से उनके फेफड़े को प्रभावित कर रहा है।

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