दबाव में फ़ैसले नहीं लेते धौनी,वन-डे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ दी

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हैरानी भरा कदम उठाते हुए महेंद्र सिंह धौनी ने बुधवार वन-डे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ दी. उन्होंने बीसीसीआइ को इससे संबंधित सूचना देकर क्रिकेट प्रेमियों को चौंका दिया. बीसीसीआइ ने अपने बयान में कहा है कि धौनी ने बोर्ड को सूचित किया है कि वह एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों से भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान का पद छोड़ने का इच्छुक हैं.
हालांकि उन्होंने चयन समिति को सूचित किया है वह इंग्लैंड के खिलाफ 15 जनवरी से शुरू हो रही तीन एकदिवसीय और तीन टी-20 मैचों की सीरीज में चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे. इससे पहले धौनी ने दिसंबर 2014 में आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान मेलबर्न में अचानक टेस्ट कप्तानी भी छोड़ दी थी. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास भी ले लिया था. आपको बता दें कि धौनी ने कभी भी अपने करियर में दबाव में कोई फैसला नहीं लिया है.
जानिए धौनी का चमकीला कैरियर
1. महेंद्र सिंह धौनी का जन्म 7, जुलाई 1981 झारखंड के रांची में हुआ था. वे भारतीय क्रिकेटर व भारतीय क्रिकेट दल के अबतक के सबसे सफल कप्तान हुये.
2. पहली बार धौनी की कप्तानी में भारत ने 2007 टी-20 विश्व कप, 2011 में एकदिवसीय विश्व कप और 2013 में आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का कारनामा किया था.
3. उनकी कप्तानी में टीम इंडिया 2009 में टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंची थी.
4. शुरुआत में आक्रामक बल्लेबाज के नाम पर जाने गये धौनी धीरे-धीरे भारतीय एक दिवसीय के सबसे शांतचित्त कप्तानों में से जाने गये. उनकी कप्तानी में भारत ने 2007-08 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज, 2007-2008 के सीबी सीरीज और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीती, जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराया और प्रमुख मैच जीते.
5. उन्होंने भारतीय टीम को श्रीलंका और न्यूजीलैंड में पहली अतिरिक्त वनडे सीरीज में जीत दिलायी. उनकी कप्तानी में भारत ने 191 मैच जीते.
6. उनकी कप्तानी में भारत ने 28 साल बाद एकदिवसीय क्रिकेट वर्ल्ड कप में दोबारा जीत हासिल की. 2013 में उनकी कप्तानी में भारत पहली बार चैपियन ट्रॉफी का विजेता बना. वे विश्व के पहले ऐसे कप्तान बन गये, जिनके पास आइसीसी के सभी कप हैं.
7. धौनी को भारतीय टीम के कप्तान रहते कई सम्मान मिले. 2008 में आइसीसी वनडे प्लेयर ऑफ द इयर अवॉर्ड (प्रथम भारतीय खिलाड़ी जिन्हें ये सम्मान मिला)
8. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और 2009 में चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मश्री पुरस्कार 2009 में, विस्देन के सर्वप्रथम ड्रीम टेस्ट ग्यारह टीम में धौनी को कप्तान का दर्जा दिया गया. धौनी ने लगातार दूसरी बार आइसीसी वर्ल्ड कप 2015 में भारत का नेतृत्व किया और पहली बार भारत ने सभी ग्रुप मैच जीते साथ ही लगातार 11 विश्वकप मैच जीत का रिकॉर्ड भी बनाया. ये भारत के पहले ऐसे कप्तान बने, जिन्होंने 100 वनडे मैच जिताये हैं. महेंद्र सिंह धौनी ने बुधवार को अचानक वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ कर दुनिया भर के अपने प्रशंसकों को चौंका दिया. धौनी के इस फैसले की जानकारी उनके परिजनों और खास दोस्तों को भी नहीं थी. उन्होंने इसकी भनक साथी रणजी खिलाड़ियों को भी नहीं लगने दी, जबकि वह टीम के मेंटर हैं और पिछले चार दिनों से नागपुर में झारखंड रणजी टीम के साथ अभ्यास में जुटे हैं.
यह पहला मौका नहीं है, जब धौनी ने अपने फैसले से सबको चौंकाया हो. वर्ष 2007 के पहले टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में भी उन्होंने अप्रत्याशित फैसला लिया था. पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल के अंतिम ओवर में उन्होंने जोगिंदर शर्मा को गेंद थमा कर सब को चौंका दिया था (हालांकि टीम इंडिया इसमें चैंपियन बनी थी). इसी प्रकार 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में भी उनका फैसला हैरान करनेवाला था. फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह की जगह वह खुद बल्लेबाजी करने आ गये थे और फिनिशर की भूमिका निभाते हुए टीम को चैंपियन बनाया था.
फिर उन्होंने 2014 में टेस्ट मैचों से संन्यास ले लिया. धौनी ने टेस्ट क्रिकेट में भारत को नंबर एक टीम बनाया. टेस्ट क्रिकेट से धौनी के अलविदा कहते ही उस युग भी अवसान हो गया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेले गये बॉक्सिंग डे टेस्ट (26 से 30 दिसंबर 2014) उनका आखिरी टेस्ट मैच था, जिसके बाद धौनी ने टेस्ट मैचों को अलविदा कह कर पूरी दुनिया को चौंकाया था. किसी को भनक तक नहीं लगने दी और मेलबर्न में तीसरा टेस्ट खत्म होने के बाद संन्यास की घोषणा कर दी. मैदान पर अपने फैसलों को लेकर धौनी हमेशा चौंकाते रहे हैं. वहीं मैदान के बाहर बहुत खामोशी से अपनी जिंदगी जीते हैं. बुधवार को भी उन्होंने वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ कर सभी को न सिर्फ चौंकाया, बल्कि हैरान भी कर दिया.
धौनी ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने क्रिकेट को हेलीकॉप्टर शॉट दिया. यह क्रिकेट के शब्दकोश में नया शब्द था. वनडे और टी-20 मैचों में धौनी नि:संदेह बेहतरीन मैच फिनिशर हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि धौनी अपनी तरह के नायक थे. सचिन की तुलना ब्रैडमेन और गावस्कर से होती रही, गांगुली की कप्तानी की तुलना पोंटिंग से होती थी, लेकिन धौनी की तुलना किसी से करना तर्कसंगत नहीं है. इसलिए नहीं कि इन महान खिलाड़ियों से धौनी का कद बड़ा है, इसलिए कि धौनी अलग परिस्थितियों में बने नायक थे. नायक एक लम्हे में नहीं, उसके वक्त के पूरे फैलाव में बनता है. धौनी महानगर से निकल कर नायक नहीं बने थे.
सामान्य परिवेश में रह कर महान सपने देखने और अपनी काबिलियत पर विश्वास ने उन्हें सफल कप्तान बनाया. धौनी की उपलब्धि का लेखा-जोखा महज हार-जीत, शतक-अर्धशतक और रैंकिंग से नहीं हो सकता. ‘स्मॉल टाउन बिग ड्रीम्स’ का टैग धौनी के साथ शुरू हुआ और इसने क्रिकेट से इतर सभी क्षेत्र में छोटे शहरों के युवाओं की सफलता की नयी परिभाषा लिखी.महेंद्र सिंह धौनी, यह नाम भारतीय खेल जगत के इतिहास में हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शनों के लिए याद किया जायेगा. अगर बात क्रिकेट की हो, तो वे भारतीय क्रिकेट के अबतक के सफलतम कप्तान में शुमार हैं. कल रात यह खबर आयी कि उन्होंने एकदिवसीय क्रिकेट और टी-20 क्रिकेट की कप्तानी छोड़ दी. यह खबर चौंकाने वाला उन लोगों के लिए होगा, जो महेंद्र सिंह धौनी की शख्सीयत से परिचित नहीं हैं. धौनी हमेशा से अप्रत्याशित निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं.
बचपन से ही चौंकाने वाले निर्णय लेते रहे हैं माही
क्रिकेट की दुनिया के स्टार महेंद्र सिंह धौनी को बचपन से क्रिकेट खेलने का शौक नहीं था, उन्होंने स्कूल के गेम टीचर के दबाव में क्रिकेट खेलना शुरू किया था और आगे बढ़ते चले गये. उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा है जो उन्हें प्रयोगधर्मी बनाता है जिसके कारण वे चौंकाने वाले निर्णय लेते रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी 2014 में उन्होंने सीरीज के बीच में ही छोड़ दी थी. क्रिकेट को कैरियर बनाने के लिए एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के धौनी का नौकरी छोड़ने का निर्णय भी कम चौंकाने वाला नहीं था, लेकिन उन्होंने प्रयोग किया और सफल रहा. धौनी के लिए यह भी कहा जाता रहा है कि उन्होंने नयी प्रतिभाओं को मौका दिया और एक जूझने वाली टीम इंडिया की नींव डाली, जो जीतना जानती थी.
शानदार रिकॉर्ड रहा है धौनी का
धौनी ने वर्ष 2007-2016 तक भारतीय टीम का एकदिवसीय क्रिकेट में नेतृत्व किया, वहीं टेस्ट टीम की कप्तानी उन्होंने वर्ष 2008-2014 तक की. भारतीय कप्तानों में उन्होंने सबसे ज्यादा टेस्ट और एकदिवसीय जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है. धौनी ने अपनी कप्तानी में कुल 60 टेस्ट मैच खेले जिनमें से 27 जीते 18 हारे और 15 ड्रा रहा, वहीं 199 वनडे खेला, 110 जीता, 74 हारे, चार मैच टाई हुआ और 11 का रिजल्ट नहीं निकला. धौनी के नेतृत्व में टीम इंडिया ने आईसीसी रैंकिंग में टेस्ट और वनडे दोनों में नंबर वन पोजीशन प्राप्त हुई है.
हमेशा दिल की सुनते हैं महेंद्र सिंह धौनी
ग्राउंड पर महेंद्र सिंह धौनी क्या करेंगे, किसे गेंद थमाये और किसे बल्ला यह सिर्फ उन्हीं को पता था. मैच के शुरुआती ओवर में जब अधिकतर फास्ट बॉलर पर कप्तान भरोसा करता था, धौनी ने आर अश्विन पर भरोसा किया और सबको चौंका दिया था. विश्वकप 2011 में भी अपनी बैटिंग अॅार्डर चेंज कर धौनी पहले उतरे थे और परिणाम क्या हुआ था यह सबको अच्छी तरह से पता है.
अद्‌भुत है रांची और धौनी का नाता
महेंद्र सिंह धौनी जब सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे थे, तो उनके बारे में यह कहा जाता था कि वे छोटे शहर के होते भी काफी स्टाइलिश हैं. लेकिन धौनी ने उन बातों को दरकिनार किया और अपने शहर रांची के प्रति प्रेम को हमेशा बरकरार रखा. धौनी आज भी उन गलियों और दुकानों में जाना नहीं भूलते जहां, वे सफलता से पहले जाया करते थे. हां यह बात दीगर है कि अब उनके लिए पुरानी गलियों में घूमना उतना सहज नहीं रहा, बावजूद इसके वे कई बार अपने दोस्तों से मिलने हेलमेट पहनकर चले जाया करते हैं. सफलता कभी उनके सिर चढ़कर नहीं बोलती. वे हमेशा सहज रहते हैं, हाल ही में वे अपने स्कूल के कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे, जहां वे काफी विनम्र और सहज नजर आ रहे थे. सात जुलाई 1981 में रांची के श्यामली कॉलोनी के इस्पात अस्पताल में जन्मे धौनी का बचपन इसी कॉलोनी में बिता है. उन्होंने जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली से 12वीं की परीक्षा पास की है. उनका पूरा परिवार रांची में ही रहता है और धौनी भी काम से फुर्सत पाने के बाद सुकून के लिए रांची में ही रहते हैं.हैरानी भरा कदम उठाते हुए महेंद्र सिंह धौनी ने बुधवार वन-डे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ दी. उन्होंने बीसीसीआइ को इससे संबंधित सूचना देकर क्रिकेट प्रेमियों को चौंका दिया. बीसीसीआइ ने अपने बयान में कहा है कि धौनी ने बोर्ड को सूचित किया है कि वह एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों से भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान का पद छोड़ने का इच्छुक हैं.
हालांकि उन्होंने चयन समिति को सूचित किया है वह इंग्लैंड के खिलाफ 15 जनवरी से शुरू हो रही तीन एकदिवसीय और तीन टी-20 मैचों की सीरीज में चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे. इससे पहले धौनी ने दिसंबर 2014 में आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान मेलबर्न में अचानक टेस्ट कप्तानी भी छोड़ दी थी. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास भी ले लिया था. आपको बता दें कि धौनी अपने कई फैसलों के लिए पहचाने जाते हैं. उन्होंने वर्ल्ड कप के दौरान कई फैसलों को लेकर हैरान कर दिया था.
एक नजर वर्ल्ड कप के दौरान धौनी के अहम फैसलों पर
जोगिंदर को बनाया हीरो
2007 वर्ल्ड टी-20 के फाइनल में अगर महेंद्र सिंह धौनी ने जोगिंदर शर्मा से आखिरी ओवर न कराया होता, तो दुनिया को शायद ये भी याद न रहता कि वो वर्ल्ड चैंपियन टीम का हिस्सा थे. फाइनल मैच के आख़िरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन की जरूरत थी. भारत को सिर्फ एक विकेट चाहिए था, लेकिन, क्रीज पर इन फॉर्म मिस्बाह उल हक मौजूद थे.ऐसे अहम मौके पर धौनी ने अनुभवी हरभजन सिंह की जगह जोगिंदर शर्मा को गेंद थमायी. जोगिंदर ने ओवर की तीसरी गेंद पर मिस्बाह का विकेट लेकर धोनी के दांव को हमेशा के लिए यादगार बना दिया.
धौनी का छक्का और इंडिया चैंपियन
2011 वर्ल्ड कप फाइनल में कुलशेखरा की गेंद पर धौनी का जीत दिलाने वाला छक्का कौन भूल सकता है. भारत को 28 साल बाद वर्ल्ड कप दिलाने वाले धौनी ने फाइनल में नाबाद 91 रन बनाये. उस मैच में अगर धौनी का बल्ला न चलता तो वो आलोचकों के निशाने पर होते.
किसने क्या कहा
माही की वनडे व टी-20 की कप्तानी छोड़ने से मैं बहुत दुखी हूं और इस बारे में और कुछ नहीं कह सकता. ये उनका अपना फैसला है और इस पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा.
अमिताभ चौधरी, प्रेसीडेंट, जेएससीए
धौनी की कप्तानी छोड़ना भारतीय टीम के लिए अच्छा संकेत नहीं है. इनको अभी और कप्तान के रूप में खेलने की जरूरत थी. अगर उन्होंने कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया है तो सोच समझ कर ही लिया होगा.
जय कुमार सिन्हा, क्रिकेट कोच
माही का ये फैसला बड़ा चौंकाने वाला है. हमें लगता था कि वे अगले वर्ल्ड कप व टी-20 वर्ल्ड कप की कप्तानी करेंगे. हम उनके इस फैसले से चौंके भी हैं और दुखी भी हैं.
प्रदीप खन्ना, पूर्व क्रिकेटर
धौनी का फैसला हमेशा सरप्राइज करता है. वहीं कप्तानी छोड़ना शॉकिंग है. वहीं उनके कप्तानी छोड़ना अच्छा संकेत भी है जिससे नये युवा खिलाड़ियों को मौका मिलेगा. वहीं टीम के साथ जुड़े रहेंगे तो टीम को फायदा होगा.
आदिल हसन, पूर्व क्रिकेटर
ये धौनी का अच्छा डिसीजन है. उन्होंने अब तक क्रिकेट में सबकुछ हासिल कर लिया है. पिछले कुछ पुराने डिसीजन उनके सही नहीं रहे हैं.
अविनाश कुमार, पूर्व क्रिकेटर
धौनी का फैसला सही है. माही ने एक बार कहा था कि सही समय पर सही फैसला लूंगा. यही वह समय था. वनडे व टी-20 की कप्तानी छोड़ने का फैसला माही ने सोच समझ का लिया है.
चंचल भट्टाचार्य, क्रिकेट कोच

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