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डूब गई मांझी की नैया

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बिहार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव का सामना करने से पहले ही मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार सुबह इस्तीफा दे दिया। मांझी ने कहा कि उनके समर्थक विधायकों को जान से मारने की धमकियां दी गईं। विधानसभा अध्यक्ष से भी उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं थी। मांझी विधानसभा में आज ही विश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले थे। मुख्यमंत्री के इस्तीफे से उत्पन्न स्थिति के बाद विधानमंडल के दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। वहीं इस्तीफे की सूचना मिलते ही नीतीश समर्थकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। जदयू कार्यालय से विधानसभा तक जश्न का दौर शुरू हो गया।
मुख्यमंत्री मांझी के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार समर्थकों में जश्न का माहौल है। राज्यपाल ने मांझी के इस्तीफे को स्वीकार करते हुए उन्हें नई सरकार के गठन तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है। इस्तीफे की खबर आते ही नीतीश कुमार समर्थक विधायक सात सर्कुलर रोड पर पहुंचे। वहां जदयू विधायक दल की बैठक हुई। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनेगी।
मांझी के इस्तीफे की खबर आने के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा, यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ की पूरी कोशिश की गई। इसमें सफलता न मिलने पर मुख्यमंत्री ने इस्तीफा देने का फैसला किया। भाजपा का गेम प्लान एक्सपोज हो गया।
मांझी के इस्तीफे के बाद बैकफुट पर आई भाजपा ने कहा कि वे एक दलित के बेटे का समर्थन कर रहे थे। आगे भी साथ रहेंगे। नंदकिशोर यादव ने कहा कि कौरवों (नीतीश की टीम) ने अभिमन्यु (मांझी) का वध कर दिया।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद विधानसभा में अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई। राज्यपाल को अभिभाषण देना था, लेकिन उन्होंने पत्र भेजकर विधानसभा अध्यक्ष को सूचित किया कि बदली परिस्थितियों में वे नहीं आ पा रहे। सदन में जदयू के नेता विजय चौधरी कुछ कहना चाहते थे, लेकिन भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद विधानसभा के सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। नई सरकार बनने की स्थिति में विधानसभा का सत्र नए सिरे से बुलाया जाएगा।
बीते साल लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उनकी सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन कुछ दिनों पहले जदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए मांझी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद से ही राज्य में सरकार बनाने और बचाने की लड़ाई सड़क से लेकर अदालत तक चल रही थी।

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