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डकैत बताकर तीन छात्रों का एनकाउंटर करने वाले थानेदार को फांसी की सजा

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आशियाना नगर फर्जी एनकाउंटर मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है. इस मामले में कोर्ट ने दारोगा शम्से आलम को फांसी की सजा सुनाई है.
काफी लंबे समय तक इंतजार के बाद फैसला आया है. यह घटना 28 दिसंबर 2002 की है. मामले में 2 पुलिसकर्मियों सहित आठ को दोषी करार दिया गया है. अन्य सात आरोपियों को आजीवन उम्र कैद की सजा सुनाई गई है.
घटनाक्रम-आशियाना मोड़ स्थित सम्मेलन मार्केट की घटना-28 दिसम्बर 2002 को आशियाना में फर्जी मुठभेड़ हुआ-18 फरवरी 2003 को सीबीआई की एफआईआर व जांच शुरू-05 जून 2014 को कोर्ट का फैसला, आठ दोषी करार-24 जून 2014 : अदालत ने दोषियों को सुनाई सजा
फर्जी एनकाउंटर में पुलिस ने तीन दोस्तों का मार गिराया था. ये तीनों छात्र एक टेलीफोन बूथ में कॉल करने गये थे. इसीक्रम में उनका बूथ के मालिक से झड़प हो गया जिसके बाद पुलिस वहां पहुंची और तीनों छात्रों को मार गिराया. बाद में पुलिस ने इन्हें डकैत करार देकर वाहवाही लूटने की कोशिश की लेकिन बाद में धीरे-धीरे इस फर्जी एनकाउंटर से पर्दा उठता चला गया.
मामले को लेकर कई दिनों तक आंदोलन होता रहा. 4 जनवरी 2003 को बिहार सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने 18 फरवरी 2003 को प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की. दोषियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. सीबीआई की ओर से 32 गवाही कराई गई. वहीं बचाव पक्ष की ओर से 18 गवाही दर्ज कराई गई.
तत्कालीन थाना प्रभारी शम्से आलम और सिपाही अरुण कुमार सिंह को हत्या करने व साक्ष्य मिटाने का दोषी पाया. वहीं सम्मेलन मार्केट के एसटीडी बूथ मालिक कमलेश कुमार गौतम, वर्मा लाइट के मालिक राजीव कुमार रंजन, ड्राई क्लीनर्स के मालिक सोनी रजक, पाटलिपुत्रा सीडी दुकान के मालिक कुमुद कुमार, आरके इलेक्ट्रिकल्स के मालिक राकेश मिश्रा और दुकानदार कमलेश कुमार गौतम के एक रिश्तेदार अनिल कुमार को भी हत्या के प्रयास व साक्ष्य बदलने का दोषी ठहराया है.

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