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जेटली का यशवंत सिन्हा पर पलटवार, बोले, मैं एक कॉलम लिखने वाला नहीं बन सकता

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पर पलटवार करते हुए कहा, मेरे पास यह लग्जरी नहीं है कि मैं एक पूर्व वित्त मंत्री से कॉलम लिखने वाला बनूं.
जेटली ने कहा आर्थिक समझदारी हमारी प्राथमिकता है. हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है. इस सरकार के राज में अब व्यापार करना आसान हुआ. जिन लोगों ने देश को पॉलिसी पैरालिसिस में भेजा उन्होंने ने इसे रोकने की बात कही.
जेटली ने नोटबंदी के बारे में कहा, नोटबंदी के जरिए यह सुनिश्चित किया गया कि बाजार में जो बेनाम टेंडर थे उनके मालिकों की पहचान की जा सके. उन्‍होंने कहा, एक लोकतंत्र में वैचारिक ध्रुवीकरण हमेशा होता है. गौरतलब हो कि यशवंत सिन्‍हा ने अरुण जेटली पर निशाना साधते हुए कहा था कि वर्तमान अर्थव्‍यवस्‍था को उन्‍होंने चौपट कर दिया है. वित्तमंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कल इंडियन एक्सप्रेस अखबार में एक लेख लिख कर कहा था कि जेटली ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने के तरीके पर सवाल उठाया था.
दिग्गज भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने किया अरुण जेटली पर हमला, नोटबंदी को भी कोसा
उधर, एक दूसरे अंगरेजी अखबार में लेख लिख कर यशवंत सिन्हा के पुत्र एवं केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा को सरकार का बचाव करना पड़ा. जयंत ने लिखा कि हम एक नयी मजबूत अर्थव्यवस्था बना रहे हैं, जो न्यू इंडिया के लिए फायदेमंद होगी. उन्होंने यहां तक लिखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कई लेख लिखे जा चुके हैं, दुर्भाग्य से उनमें कम तथ्य होते हैं. उन्होंने लिखा कि अर्थव्यवस्था बदलाव के दौर से गुजर रही है, जिसके मूल्यांकन के लिए थोड़ा वक्त देना होगा.
* पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने क्या लिखा है?
यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने आलेख का शीर्षक भी बड़ा दिलचस्प दिया है : आइ नीड टू स्पीक अप नाउ. यानी मुझे अब बोलना ही होगा. सिन्हा ने लिखा है कि अगर वे नहीं बोलेंगे तो वे अपने राष्ट्रीय कर्तव्य को नहीं निभा रहे होंगे. उन्होंने लिखा है कि वे जो बोलने जा रहे हैं वह बड़ी संख्या में भाजपा के लोगों की भावनाएं हैं, लेकिन वे डर से नहीं बोल पा रहे हैं. यशवंत सिन्हा ने लिखा है कि सरकार के आंकड़े जीडीपी की मौजूदा वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत बता रहे हैं, लेकिन वास्तव में वह 3.7 प्रतिशत है. सिन्हा ने इसके पीछे तर्क दिया है कि सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने के तरीके बदल दिये, उससे यह नंबर अभी 5.7 प्रतिशत दिख रही है.
सिन्हा ने लिखा है कि आज निजी निवेश कम हो गया है. खेती संकट में है, विनिर्माण उद्योग में सुस्ती है और औद्योगिक उत्पादन ध्वस्त हो गया है. सर्विस सेक्टर की रफ्तार धीमी है व निर्यात घट गया है. हर क्षेत्र में इकोनॉमी संकट में है. पूर्व वित्तमंत्री ने मनमोहन सिंह के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि नोटबंदी आर्थिक आपदा साबित हुई है. सिन्हा ने लिखा है कि ठीक ढंग से जीएसटी लागू नहीं करने से कारोबारी जगत में उथल-पुथल मच गयी है. नौकरियां गयी हैं और नौकरियों के नये मौके नहीं बन रहे हैं.
दरअसल, नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी के कारण हाल में आये जीडीपी के आंकड़े के अनुसार इसकी वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत है और यह चीन से कम है. इसके साथ ही सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था का भारत का तमगा चीन के हाथों छिन गया है.

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