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जीएसटी परिषद की बैठक में 80-90 प्रतिशत वस्तुओं, सेवाओं पर कर की दरें तय

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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने यहां गुरुवार से शुरू अपनी दो दिन की बैठक के पहले दिन 80 से 90 प्रतिशत वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दरों का निर्धारण कर लिया है. प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था में चार स्तर की दरें रखी गयी हैं जिनमें रोजमर्रा के इस्तेमाल की आवश्यक वस्तुओं पर पांच प्रतिशत की न्यूनतम रखी गयी है.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षतावाली परिषद ने बैठक के पहले सत्र में वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत नियमों को भी मंजूरी दी. जीएसटी एक जुलाई से लागू किए जाने की योजना है. परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि शामिल हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 80 से 90 प्रतिशत वस्तुओं, सेवाओं के बारे में यह तह हो गया है कि उन्हें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के कर ढांचे में कहां रखा जायेगा. फिटमेंट इस तरीके से किया गया है कि लोगों पर नयी कर व्यवस्था के कारण कर का बोझ नहीं बढ़े. इसलिए वस्तुओं और सेवाओं को उनके ऊपर इस समय लागू उत्पाद शुल्क, वैट या सेवा कर को ध्यान में रखकर जीएसटी की विभिन्न दरों के साथ जोड़ा जा रहा है. समझा जाता है कि शुक्रवार को बैठक संपन्न होने के बाद तय कर दरों का पूरा ब्योरा उपलब्ध हो पायेगा. विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों ने रेशमी धागे, पूजा की सामग्री और हस्तशिल्प उत्पादों को जीएसटी दरों में छूट की मांग की है. हालांकि, जेटली का मानना है कि जीएसटी के तहत न्यूनतम छूट दी जानी चाहिए और यह आवश्यक होने पर ही दी जानी चाहिए.
बैठक शुरू होने से पहले केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने जीएसटी व्यवस्था में सोने पर पांच प्रतिशत कर लगाने का मामला उठाया. कुछ हलकों से सोने पर एक प्रतिशत की कर लगाने की मांग की जा रही है. इसाक ने कहा कि सोना आवश्यक वस्तु नहीं है और इस पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगना चाहिए. वहीं, योगी आदित्यनाथ की अगुवाईवाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पूजा सामग्री पर शून्य कर की मांग की है. अभी इस पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव है. कुछ अन्य राज्यों ने सेवा कर की दो दरें 12 और 18 प्रतिशत रखने की मांग की.
जीएसटी राष्ट्रीय बिक्रीकर होगा, जो वस्तुओं के उपभोग या सेवाओं के इस्तेमाल पर लगाया जायेगा. यह 16 मौजूदा शुल्कों और करों का स्थान लेगा. केंद्र के स्तर पर उत्पाद शुल्क और सेवा कर इसमें समाहित होंगे, जबकि राज्यों के नौ कर मसलन वैट और मनोरंजन कर भी इसमें समाहित होंगे. इससे भारत एक कर दरवाला एक बाजार बन जायेगा. जीएसटी के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जायेगा जहां वस्तु एवं सेवाकर लागू है. फ्रांस ने सबसे पहले 1954 में जीएसटी को लागू किया था. उसके बाद से जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, जापान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे एक दर्जन से अधिक राष्ट्रों ने जीएसटी लागू किया है. चीन ने 1994 में और रूस ने 1991 में जीएसटी लागू किया. सऊदी अरब की योजना इसे 2018 से लागू करने की है.
जम्मू-कश्मीर को विशेष दरजे के अनुरूप मदद देने का वादा
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जम्मू कश्मीर सरकार को जीएसटी क्रियान्वयन मामले में हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया. राज्य को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दरजे का सम्मान करते हुए जीएसटी को अमल में लाते समय उसमें किसी तरह के पुनर्गठन में हर संभव मदद का आश्वासन दिया. एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार जेटली ने वादा किया कि जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दरजा को ध्यान में रखते हुए जीएसटी को राज्य में लागू करने के लिए उसके पुनर्गठन में जो कुछ कर सकता है, करेगा. राज्य के वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने कहा कि ऐतिहासिक बैठक जम्मू कश्मीर को आर्थिक इतिहास का हिस्सा बनायेगा जिसका मकसद देश की संघीय नीति को पुनर्व्यवस्थित करना है.

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