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जरूरी हो, तभी बैंक खाते में रखें सरकारी राशि

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वित्त विभाग ने सरकारी खजाने से राशि निकाल कर बैंकों में रखने से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश किया जारी
पटना: राज्य के सभी विभाग, जिला और प्रमंडल स्तरीय कार्यालय को सरकारी राशि बैंक में जमा करने से संबंधित दिशा-निर्देश वित्त िवभाग ने जारी किया है.
इसके अंतर्गत केंद्र या राज्य सरकार की सिर्फ उन्हीं योजना के रुपये खजाने से निकाल कर बैंक खातों में रखना है, जिन योजनाओं में इसकी बेहद अनिवार्यता है. ये राशि सिर्फ सरकारी बैंकों में ही रखनी है.
इन योजनाओं के रुपये बैंक में रखने के लिए वित्त विभाग से अलग से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है. भू-अर्जन के मामले में जो रुपये केंद्र सरकार की तरफ से प्राप्त होती है, वे राशि सरकारी बैंकों में रखी जायेगी. इस मामले को लेकर वित्त विभाग के प्रधान सचिव सुजाता चतुर्वेदी ने सभी विभागों के प्रमुखों को पत्र लिख कर अहम निर्देश जारी किया है.
वित्त विभाग ने कहा है कि विभागों या सचिवालय एवं संबंधित कार्यालयों के लिए विशेष योजनाओं को छोड़ कर अन्य किसी योजना या मामले में किसी विशेष कारण से ही अगर राशि निकाल कर बैंक खातों में रखना अनिवार्य हो, तभी इसे रखा जाये. परंतु इसके लिए तमाम निर्धारित नियमों का पालन सख्ती से किया जाये. ऐसे मामलों में वित्त विभाग से विमर्श करने के बाद ही बैंक खाते खोले जायेंगे.
अगर किसी क्षेत्रीय कार्यालय या निगम या बोर्ड समेत अन्य संबंधित कार्यालयों को अगर बैंक खाता खोलना है, तो इसके लिए वे अपने संबंधित विभाग को प्रस्ताव भेजकर सहमति ले सकते हैं. ऐसी स्थिति में संबंधित विभाग वित्त विभाग से इस पर विमर्श प्राप्त कर सकते हैं. ऐसे तमाम मामलों में जब तक बहुत आवश्यक नहीं हो, तब तक सरकारी राशि बैंक खाते में नहीं रखें. किसी परिस्थिति में बैंक खाता खोलना है, तो इसके लिए बैंकों का चयन करने में भी ध्यान रखने की जरूरत है.
जिन बैंकों का प्रदर्शन साख जमा अनुपात, प्राथमिक क्षेत्र में ऋण देने की स्थिति समेत अन्य मानकों पर बेहतर है, उनमें ही राशि रखी जायेगी. वित्त विभाग ने यह भी सभी विभागों से कहा है कि उनके अंतर्गत जो भी बैंक खाते खोले जायेंगे, उसकी प्रत्येक महीने मॉनीटरिंग विभागीय प्रधान के स्तर पर की जायेगी. किसी खाते में कितने रुपये हैं और उनकी अपडेट स्थिति क्या है, इसका पूरा जायजा प्रत्येक महीने लिया जायेगा. ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहे और सरकारी रुपये पार्क नहीं हो सकें.

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