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चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ सर्वाधिक मात्र में धूलकणों का रोकते हैं

कृषि / पर्यावरण

वैज्ञानिकों के अध्ययनों में सामने आया है कि चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ सर्वाधिक मात्र में धूलकणों का रोकते हैं, जिससे प्रदूषण रोकने में सहायता मिलती है। विभिन्न राज्यों में लगे पतली पत्तियों वाले पेड़ न केवल पार्टिकुलेट मैटर बल्कि गैसों के अवशोषण में भी कम उपयोगी हैं। पार्टिकुलेट मैटर 2.5, पार्टिकुलेट मैटर 10, धूलकणों और जहरीली गैसों से निजात दिलाने में चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ उपयोगी हैं।
डीयू के पूर्व प्रो. और वैज्ञानिक सीआर बाबू का कहना है कि चौड़ी पत्तियों वाले आमतौर पर भारत में पाए जाने वाले पौधों का कैनोपी आर्किटैक्चर सड़कों के किनारे विकसित किया जाए तो प्रदूषण का स्तर काफी कम किया जा सकता है। वहीं यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क, अरावली पर्वत श्रंखला और हाल ही में तुगलकाबाद में चिह्न्ति बायोडायवर्सिटी पार्क में 30 हजार चौड़ी पत्तियों वाले पौधे लगाने वाले वैज्ञानिक डॉ. फैयाज खुद्सर का कहना है कि प्रदूषक तत्वों के अवशोषण और पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ कामयाब साबित हो रहे हैं।
इन पेड़ों के वजह से सुरक्षित रहेंगे हम
पेड़-पौधों के सहारे हम भी प्रदूषण से जंग लड़ सकते हैं। नीम, पीपल, बरगद, जामुन और गूलर जैसे पौधे हमारे आसपास जितनी ज्यादा संख्या में होंगे, हम जहरीली हवा के प्रकोप से उतने ही सुरक्षित रहेंगे। ये ऐसे पौधे हैं, जो कहीं भी आसानी से मिल जाते हैं और इनका रख-रखाव भी मुश्किल नहीं है। ये न केवल पर्याप्त मात्र में ऑक्सीजन देते हैं बल्कि पीएम2.5 और पीएम10 को पत्तियों के जरिये सोख लेते हैं और हवा में बहने से रोकते हैं। वैज्ञानिकों के अध्ययन में ये सारे तथ्य सामने आए हैं।
चौड़ी पत्ती वाले पेड़
यदि आप अपने आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण को कम करना चाहते हैं, तो इसके लिए पौधे और वृक्ष ही आपके संरक्षक बन सकते हैं। यदि आपके इलाके में ऐसे पेड़ नहीं है तो इन्हें जरू अपने इलाके में पौधारोपण करें। जामुन, अमलतास, ढाक, सैंबल, पिलखन, कुलू, दूधी, बेल, साजा, लिसोढ़ा, पीपल, बरगद, विश्तेंदु, खिरनी, कदंब, चिलबिल, भिलमा, टीक, साल, हरड़-बहेड़ा, रीठा, केम (जंगली कदंब) जैसे पेड़ प्रदूषण को रोकने बेहद ही सहायक है।
चौड़ी पत्ती पर अध्ययन
डीयू के शिवाजी कॉलेज के छात्र डा. विजय कुमार के साल 2016 में किए गए अध्ययन में पीपल को बेहतर पेड़ पाया गया है। जो धूल सहित विभिन्न प्रदूषक तत्वों के अवशोषण में मददगार है।एक दशक पहले नेशनल इन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटय़ूट नागपुर के अध्ययन में जामुन को पार्टिकुलेट मैटर को सोखने वाला पेड़ पाया गया।

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