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चारा घोटाला : लालू को साढ़े तीन साल की सजा, जगदीश शर्मा को सात साल की जेल

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रांची की एक सीबीआई की विशेष अदालत ने शनिवार को करीब 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89, 27,000 रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की कैद एवं 10 लाख जुर्माने की सजा सुनायी. अदालत ने लालू के दो पूर्व सहयोगियों लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात साल की कैद एवं बीस लाख रुपये के जुर्माने एवं बिहार के पूर्व मंत्री आरके राणा को साढ़े तीन साल की कैद एवं 10 लाख जुर्माने की सजा सुनायी.
बेल की खातिर हार्इकोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे तेजस्वी
फैसला आने के बाद लालू के पुत्र और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पटना में कहा कि हम लालू प्रसाद की दोषसिद्धि के खिलाफ हार्इकोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे और अदालत के फैसले का अध्ययन करने के बाद अपील दायर करेंगे. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, आरके राणा, जगदीश शर्मा एवं तीन वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत 16 अभियुक्तों की सजा पर विशेष सीबीआई अदालत का फैसला शनिवार शाम साढ़े चार बजे आया. अदालत ने सजा की घोषणा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये की और सभी अभियुक्तों को बिरसामुंडा जेल में ही वीडियो लिंक से अदालत के सामने पेश कर सजा सुनायी गयी.
वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये फैसला सुनाने का दिया आदेश
इससे पूर्व शनिवार को ही दिन में दो बजे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एवं राजद के दूसरे नेता आर के राणा एवं अन्य सभी आरोपियों की पेशी सजा सुनने के लिए जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से करने के निर्देश दिये थे. अपने आदेश के लिए अदालत ने शाम चार बजे का समय निर्धारित किया था. अदालत ने सजा के बिंदु पर शुक्रवार को लालू के वकीलों की बहस सुनी, जिसमें उन्होंने बार-बार उनकी लगभग 70 साल की उम्र होने और बीमार होने की दुहाई दी थी.अदालत ने एक-एक कर बाद में अन्य शेष सात अभियुक्तों की भी सजा के बिंदु पर उनकी उपस्थिति में बहस सुनी थी.
लालू यादव को इन धाराआें के तहत दी गयी सजा
लालू यादव को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420, 467, 471एवं 477ए के तहत जहां साढ़े तीन साल कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी, वहीं उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13 (2) के तहत 13(1) सी एवं डी के आधार पर दोषी करार देते हुए भी अलग से साढ़े तीन साल की कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. अदालत ने बाद में स्पष्ट किया कि लालू की दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी. जुर्माना न अदा करने की स्थिति में लालू यादव को छह माह अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी.
राणा को भी साढ़े तीन साल की सजा
इसी प्रकार, बिहार के पूर्व मंत्री एवं लालू के निकट सहयोगी रहे आरके राणा को अदालत ने भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी पाते हुए साढ़े तीन साल कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. उन्हें भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) के तहत अलग से साढ़े तीन साल कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी. राणा की भी दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी.
जमानत के लिए करना होगा हार्इकोर्ट का रुख
अदालत ने बिहार की लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात साल की कैद एवं कुल 20 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. इसके अलावा, अदालत ने तीन पूर्व वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों महेश प्रसाद, फूलचंद एवं बेक जूलियस को साढ़े तीन-साढ़े तीन साल की कैद एवं पांच-पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी. सजा की अवधि तीन साल से अधिक होने के चलते अब इन तीनों नेताओं एवं आइएएस अधिकारियों को जमानत के लिए झारखंड हार्इकोर्ट का रुख करना होगा. लालू प्रसाद के अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद ने बताया कि अदालत ने तर्क आधारित निर्णय नहीं दिया है और वह जमानत के लिए अगले सप्ताह ही झारखंड हार्इकोर्ट में अपील करेंगे. फिलहाल लालू एवं अन्य सभी 15 दोषियों को बिरसा मुंडा जेल में ही रहना होगा.
अन्य दोषियों को दी गयी यह सजा
विशेष सीबीआई अदालत ने सरकारी अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद को सात साल की कैद आैर 20 लाख रुपये जुर्माना, सुनील गांधी को सात साल की कैद आैर 10 लाख रुपये जुर्माना, सुबीर भट्टाचार्य को साढ़े तीन साल की कैद एवं 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. इसके अलावा, अदालत ने चारा आपूर्तिकर्ता राजाराम जोशी को साढ़े तीन साल की कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने, सुनील कुमार सिन्हा एवं सुशील कुमार सिन्हा को साढ़े तीन साल की कैद तथा पांच-पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. अदालत ने चारा आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, संजय अग्रवाल, गोपीनाथ दास एवं ज्योति झा को सात साल की कैद एवं 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
चार साल में देवघर कोषागार से 89,27,000 रुपये की निकासी
वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे, जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी 64/1996 दर्ज किया था और लगभग 21 साल बाद इस मामले में 23 दिसंबर को फैसला आया था.
23 दिसंबर, 2017 को ठहराये गये थे दोषी
सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के इस मामले में 23 दिसंबर को लालू प्रसाद समेत तीन नेताओं, तीन आर्इएएस के अलावा पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, मोबाइल पशु चिकित्साधिकारी सुबीर भट्टाचार्य एवं आठ चारा आपूर्तिकर्ताओं सुशील कुमार झा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय कुमार अग्रवाल, ज्योति कुमार झा, सुनील गांधी तथा त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को अदालत ने दोषी करार देकर जेल भेज दिया था.
चार्इबासा कोषागार निकासी मामले में लालू आैर सहयोगियों को मिल चुकी है सजा
इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ सत्तर लाख रुपये की अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू प्रसाद, जगदीश शर्मा, राणा, पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ जगन्नाथ मिश्रा समेत शनिवार के मामले के कई आरोपियों को सजा हो चुकी है. देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये के फर्जीवाड़े के मामले से जुड़े इसी मुकदमे में 23 दिसंबर को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र एवं साधना सिंह को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को नौ महीने में सुनवार्इ पूरी करने का दिया था आदेश
इससे पहले, जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो सर्वोच्च अदालत ने निचली अदालत को इसकी सुनवाई नौ माह में पूरी करने के निर्देश दिये थे. इस मामले में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीष शर्मा एवं ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद एवं 29 अन्य आरोपी थे. सभी 38 आरोपियों में से सुनवाई के दौरान जहां 11 की मौत हो गयी, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये, जबकि दो ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था. इसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी.
लालू के खिलाफ रांची में चल रहे थे पांच मुकदमे
लालू प्रसाद प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल पांच मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे, जिनमें चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्टूबर को क्रमश: पांच साल की कैद आैर 25 लाख रुपये जुर्माने एवं चार साल कैद की सजा सुनायी जा चुकी है. लालू के खिलाफ चारा घोटाले में यह दूसरा ऐसा मामला है, जिसमें शनिवार को उन्हें सजा सुनायी गयी है. इस आदेश के आने के बाद अब लालू आदतन अपराधी की श्रेणी में आ गये हैं. इसके अलावा, उनके खिलाफ रांची में डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी से जुड़ा आरसी 47/96, दुमका कोषागार से तीन करोड़, 97 लाख रुपये निकासी का आरसी 38/96 एवं चाईबासा कोषागार से अवैध रूप से 36 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा आरसी 68/96 के मुकदमे अभी चल रहे हैं, जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है.

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