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गायत्री व राज किशोर अखिलेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को बड़ा कदम उठाते हुए खनन मंत्री गायत्री प्रजापति व पंचायती राज मंत्री राज किशोर सिंह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई को सरकार व पार्टी की छवि बेहतर करने की कोशिश से जोड़ कर देखा जा रहा है।
वैसे, इस फैसले से पार्टी के भीतर व बाहर हड़कंप भी कम नहीं है। खास बात यह है कि गायत्री प्रजापति को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है तो राज किशोर सिंह सपा के यूपी प्रभारी शिवपाल सिंह यादव व राम गोपाल यादव के नजदीक बताए जाते हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सख्त कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति व पशुधन मंत्री राज किशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया है। मंत्रियों की बर्खास्तगी पर दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि बर्खास्तगी की जानकारी उन्हें मीडिया से ही मिली है। उन्होंने कहा, ‘ मुझे आप से पता चला है और क्यों हटाया गया ये भी पता नहीं। प्रजापति को लेकर काफी बातें हुई थी मैंने अपने मंत्रियो से कह दिया था कि कोई आरोप न लगे।’ मुलायम सिंह ने बताया कि मंत्रियों की मुख्यमंत्री से कोई शिकायत हुई होगी। दोनों ही नहीं सभी मंत्रियो हमारे हैं और हमने ही मंत्री बनाये थे। मुख्यमंत्री तो बाद में अखिलेश को बनाया था।’ वहीँ दोनों मंत्रियों से मुलाकात पर सपा प्रमुख ने कहा कि अगर दोनों मिलना चाहेंगे तो जरूर मिलेंगे क्योकि वो मंत्री भले ही नहीं है पर एमएलए तो हैं।
राज्यपाल राम नाईक मुख्यमंत्री की सोमवार सुबह भेजी गई संस्तुति को तुरंत स्वीकार कर लिया। सीएम ने भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग स्वतंत्र प्रभार वाले खाद्य प्रसंस्करण मंत्री मूलचंद चौहान को दिया है। लघु सिंचाई व पशुधन विभाग को मुख्यमंत्री खुद अपने पास रखा है। समाज कल्याण मंत्री राम गोविंद चौधरी को पंचायती राज का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राज किशोर की छवि को लेकर भी खासे सवाल उठते रहे हैं। उन पर खनन के अलावा अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार के भी आरोप रहे हैं। खास बात यह है कि मुलायम सिंह यादव पहले कई मौकों पर कई मंत्रियों व विधायकों की छवि खराब होने, पैसा कमाने, जमीन जायदाद के काम में लगे होने की बात सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं। साथ ही उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री से कार्रवाई करने को भी कहा था।
असल में गायत्री प्रजापति पर प्रदेश में अवैध खनन को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। इस कारण मुख्यमंत्री उनसे खफा रहते थे। जब अवैध खनन मामले में अदालती कार्रवाई और सख्त होती दिखने लगी तो फिर गायत्री प्रजापति से मुख्यमंत्री ने पूरी तरह किनारा करना बेहतर समझा। राज्य में अवैध खनन की शिकायतों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया और अवैध खनन में अधिकारियों की भूमिका की जांच सीबाईआई से कराने को कहा है। इस पर सरकार ने अदालत से सीबीआई जांच का आदेश वापस लेने की याचिका दाखिल की लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। माना जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही इस मामले में केस दर्ज कर छापेमारी और तफ्तीश शुरू कर सकती है।

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