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गहलोत 31 जुलाई से ही सत्र बुलाने पर अड़े, राज्यपाल की आपत्तियों के जवाब के साथ तीसरी बार अर्जी भेजी; गवर्नर ने 21 दिन के नोटिस की शर्त रखी थी
राजस्थान July 28, 2020राजस्थान में पायलट वर्सेज गहलोत से शुरू हुई सियासी उठापटक अब गहलोत वर्सेज राज्यपाल ज्यादा हो गई है। गहलोत सरकार 31 जुलाई से ही विधानसभा का सत्र बुलाने पर अड़ी है। मुख्यमंत्री के घर मंगलवार को ढाई घंटे चली कैबिनेट बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा के बाद सरकार ने अपना जवाब तैयार कर तीसरी बार राज्यपाल को अर्जी भेज दी है। अब राजभवन के जवाब का इंतजार है।
गहलोत सरकार के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर प्रताप सिंह ने कैबिनेट मीटिंग के बाद कहा कि सत्र बुलाना हमारा कानूनी अधिकार है। राज्यपाल इस पर सवाल नहीं उठा सकते, फिर भी हम जवाब दे रहे हैं। जहां तक 21 दिन के नोटिस की बात है तो 10 दिन तो पहले ही बीत चुके, फिर भी राज्यपाल नोटिस की बात करते हैं तो वे कोई तारीख क्यों नहीं दे रहे। अगर राज्यपाल ने इस बार भी हमारा प्रस्ताव नहीं माना तो साफ हो जाएगा कि देश में संविधान नाम की कोई चीज नहीं है।
इससे पहले 2 बार मांग खारिज करने के बाद राज्यपाल ने सोमवार को कहा था कि सत्र बुलाने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार को 21 दिन का नोटिस देने की शर्त माननी पड़ेगी। राज्यपाल ने सरकार से 2 सवाल भी किए।
पहला सवाल- क्या आप विश्वास मत प्रस्ताव चाहते हैं? यदि किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल करने की कार्यवाही की जाती है तो यह संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की मौजूदगी में हो और वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाए। इसका लाइव टेलीकास्ट भी होना चाहिए।
दूसरा सवाल- यह भी साफ किया जाए कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाता है तो सोशल डिस्टेंसिंग कैसे रखी जाएगी? क्या कोई ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 सदस्य और 1000 से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों के इकट्ठे होने पर उनमें संक्रमण का खतरा नहीं हो? यदि किसी को संक्रमण हुआ तो उसे फैलने से कैसे रोका जाएगा?
भाजपा विधायक मदन दिलावर ने बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ हाईकोर्ट में दूसरी पिटीशन लगाई है। सोमवार को उनकी अर्जी खारिज हो गई थी। हाईकोर्ट ने पिटीशन को सारहीन बताया था, साथ ही नए सिरे से अर्जी लगाने की छूट भी दी थी। दिलावर का कहना है कि उन्होंने बसपा विधायकों के दलबदल की शिकायत 4 महीने पहले स्पीकर सीपी जोशी से की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
बीएसपी भी अपने विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ बुधवार को हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल करेगी। पार्टी प्रमुख मायावती ने कहा कि राजस्थान में चुनाव के नतीजों के बाद बीएसपी के 6 विधायकों ने बिना शर्त कांग्रेस को समर्थन दिया था। यह दुर्भाग्य रहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीएसपी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से विधायकों को असंवैधानिक तरीके से कांग्रेस में मिला लिया। गहलोत ने पिछले कार्यकाल में भी ऐसा ही किया था।
‘बीएसपी चाहती तो पहले ही कोर्ट जा सकती थी, लेकिन हम कांग्रेस और गहलोत को सबक सिखाने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे। हम इस मामले को छोड़ेंगे नहीं। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।’
‘हमने अपने 6 विधायकों से कहा है कि राजस्थान विधानसभा में किसी भी तरह की वोटिंग में कांग्रेस के खिलाफ वोट दें। उन्होंने ऐसा नहीं किया तो पार्टी से उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।’
कांग्रेस का ट्वीट- भाजपा लोकतंत्र की हत्या को आतुर
लोकतंत्र की हत्या को आतुर,
पुरजोर भाजपाई षड्यंत्र है।
लोकतंत्र को बचाने का,
कांग्रेस ने भी लिया मंत्र है।
गहलोत ने राष्ट्रपति से दखल की मांग की
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि राज्यपाल के रवैए को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। साथ ही राष्ट्रपति को अर्जी भेजकर कहा है कि राज्यपाल सत्र चलाने की मंजूरी नहीं दे रहे, इसलिए आप दखल दीजिए।
पायलट गुट का दावा- गहलोत कैंप के 13 विधायक संपर्क में हैं
सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि पायलट खेमे के 3 विधायक उनके संपर्क में हैं और 48 घंटे में जयपुर पहुंच जाएंगे। बाकी एमएलए भी लौटना चाहें तो सोनिया और राहुल गांधी से बात कर उन्हें माफी दिलवा देंगे। उनकी सदस्यता को कोई खतरा नहीं रहेगा। सुरजेवाला के इस दावे पर पायलट खेमे के विधायक हेमाराम ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि पायलट गुट का एक भी विधायक इधर-उधर नहीं होगा, लेकिन गहलोत कैंप के 13 विधायक संपर्क में हैं और बाड़ेबंदी खत्म होते ही हमारे पास आ जाएंगे।
सियासी संग्राम से पहले विधानसभा में स्थिति
कांग्रेस: 107
और अब ये हालात
गहलोत के पक्ष में: 88 कांग्रेस, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 1 आरएलडी, 1 सीपीएम यानी कुल 102
पायलट गुट: 19 बागी कांग्रेस के, 3 निर्दलीय। कुल 22
भाजपा प्लस: 72 भाजपा, 3 आरएलपी। कुल 75
माकपा 1 : गिरधारी महिया फिलहाल सबसे अलग हैं।
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