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कुमार ही होंगे कर्नाटक के स्वामी, 21 को लेंगे शपथ, येद्दयुरप्पा सिर्फ 55 घंटे ही सीएम रहे

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कर्नाटक विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का मौका मिलने के बावजूद भाजपा बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने में नाकाम रही है। इसके बाद मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस तरह अपने तीसरे कार्यकाल में वे महज 55 घंटे ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रह पाए। इससे पहले भी वे दो बार अपना कार्यकाल पूरा करने में नाकाम रहे हैं। अब कांग्रेस-जदएस गठबंधन के नेता एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उनको 21 मई को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। राज्यपाल वजुभाई वाला ने उनको सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हुए बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
-सबसे कम समय के मुख्यमंत्री
-शक्ति परीक्षण से पहले ही येद्दयुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा
-21 को कुमारस्वामी लेंगे शपथ, 15 दिन में साबित करना होगा बहुमत
येद्दयुरप्पा का इस्तीफा, कुमारस्वामी के लिए रास्ता साफ, गठबंधन को एकजुट रखने की चुनौती
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-सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बहुमत जुटाने में नाकाम रही भाजपा
शनिवार को विधानसभा सत्र में येद्दयुरप्पा ने विश्वास मत पेश तो किया, लेकिन उस पर मतदान से पहले ही त्यागपत्र का एलान कर दिया। इससे पहले करीब 20 मिनट तक उन्होंने भावुक भाषण दिया। इसमें उन्होंने कर्नाटक के विकास के लिए पूरी जिंदगी काम करने का वादा किया और यह भरोसा भी जताया कि अगले चुनाव में भाजपा 150 का आंकड़ा हासिल करेगी। संख्या बल नहीं जुटा पाने की बेचैनी दोपहर बाद भाजपा खेमे में दिखने लगी थी। अस्थायी अध्यक्ष द्वारा सभी विधायकों को शपथ दिलाने और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक चार बजे शक्ति परीक्षण के पहले येद्दयुरप्पा ने अपना भाषण शुरू किया।
उन्होंने जिस तरह से कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या, पानी की समस्या और विकास की बात शुरू की और इसके लिए पूरी जिंदगी लड़ने का एलान किया, उससे साफ हो गया कि बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने में वे विफल रहे हैं। इसके बाद उन्होंने राजभवन जाकर त्यागपत्र दे दिया। विधानसभा के गणित को देखते हुए कुमारस्वामी के लिए बहुमत साबित करना मुश्किल काम नहीं होगा। हालांकि, उनके सामने गठबंधन को एकजुट रखने की चुनौती होगी। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता जदएस के साथ गठबंधन पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठा चुके हैं। विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा था।
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मोदी-शाह ने बनाए रखी थी दूरी
इस्तीफे से पहले येद्दयुरप्पा ने भले ही खुद पर भरोसे के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को धन्यवाद दिया, लेकिन हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों को ही उनके दावे पर सौ फीसद भरोसा नहीं था। यही कारण है कि चुनाव परिणाम के दिन सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा के सामने आने पर कर्नाटक की जनता को आभार जताने के अलावा दोनों ने पूरे मामले से दूरी बनाए रखी। सूत्र बताते हैं कि येद्दयुरप्पा को संदेश दे दिया गया था कि अनैतिक कदम न उठाए जाएं। मुख्यमंत्री के रूप में येद्दयुरप्पा के शपथग्रहण में भी पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को नहीं भेजा गया और उन्हें अकेले ही शपथ लेना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने गड़बड़ाया गणित
-येद्दयुरप्पा ने यह संदेश देने की कोशिश की कि सबसे बड़े लिंगायत नेता के रूप में विपक्ष के कई विधायक उनके समर्थन को तैयार हैं।
-बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से 15 दिन का समय मिलने के बाद येद्दयुरप्पा के दावे पर यकीन भी होने लगा था।
-लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उनका सारा गणित गड़बड़ा दिया। अदालत ने उन्हें एक दिन में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया।
-कांग्रेस और जदएस ने अपने विधायकों को इस कदर सुरक्षित कर लिया कि उनके टूटने की कोई आशंका ही नहीं बची।
येद्दयुरप्पा के तीन अधूरे कार्यकाल:
1. मात्र सात दिन : 12 नवंबर, 2007 से 19 नवंबर, 2007 तक
2. तीन साल 62 दिन : 30 मई, 2008 से 31 जुलाई, 2011 तक
3. मात्र दो दिन : 17 मई, 2018 से 19 मई, 2018 तक
विधानसभा में दलीय स्थिति कुल सीटें: 224
चुनाव हुए 222
भाजपा 104, कांग्रेस 78 + जदएस 38, कुल 115 (कुमारस्वामी दो सीटों से जीते हैं, इसलिए एक माना जाएगा), निर्दलीय – 02
कर्नाटक के नाटक का पटाक्षेप। कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा जुटा पाने में असफल रहे मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया। येद्दयुरप्पा ने विधान सभा में विश्वासमत से पहले ही इस्तीफ़े का एलान कर दिया और राजभवन जाकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा।
देखा जाए तो येद्दुयरप्पा तीनों कार्यकाल कभी पूरे नहीं कर सके। तीसरा अंतिम कार्यकाल सिर्फ ढाई दिन का रहा। येद्दुयरप्पा के साथ ऐसा ग्रहण लगा है कि वह मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर सके।कर्नाटक विधान सभा चुनाव में सबसे बडी पार्टी उभरकर आई भाजपा शनिवार को शनिग्रहण का शिकार हुई।कर्नाटक के नाटक का पटाक्षेप हुआ। येद्दुयरप्पा ने समझदारी दिखाकर विश्वासमत से पहले ही इस्तीफ़े का एलान किया। कनार्टक में बीजेपी की सरकार गिरने का बड़ा झटका उन लोगों के लिए भी है जो सरकार बनाने से ज्यादा सरकार क्यों बीजेपी की ही बने इसके तर्क अधिक दे रहे थे।
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गोवा की विधानसभा में सबसे ज्यादा विधायक होने के बावजूद कांग्रेस विपक्ष में है। 11 मार्च 2017 को पांच राज्यों के चुनाव नतीजे घोषित हुए. यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ, जबकि मणिपुर और गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। पंजाब में कांग्रेस ने सरकार बनाई, लेकिन गोवा और मणिपुर में सबसे ज्यादा सीटें पाकर भी वह सत्ता हासिल नहीं कर सकी और बीजेपी ने बाजी मार ली।
कांग्रेस ने बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या करने के आरोप लगाए तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषकों ने कांग्रेस नेताओं की सुस्ती को बीजेपी की जीत की अहम वजह बताया। कहा गया कि कांग्रेस नेता गोवा जाकर घूमने में लगे रहे और बीजेपी ने निर्दलीयों और क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया. कुल मिलाकर कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई और अमित शाह की रणनीति की जमकर चर्चा की गई।
ऐसी ही कुछ स्थिति अब कर्नाटक में उभरी है। 15 मई को जब नतीजे आए तो बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन वह बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी. जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस और जेडीएस ने गठजोड़ कर लिया और निर्दलीय विधायक को भी अपने साथ ले लिया। आज हालात ये हैं कि सीएम पद की शपथ ले चुके बीएस येद्दयुरप्पा अपनी सरकार का बहुमत तक साबित कर पाने में विफल रहे और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस इस पूरी रस्साकशी में काफी आगे नजर आई और एक के बाद एक हर मोर्चे पर वह बीजेपी को पछाड़ती चली गई।
15 मई को जब चुनाव नतीजे घोषित हो रहे थे, तब शुरुआती रुझानों में बीजेपी बहुमत का आंकड़ा पार करती दिखाई दे रही थी. लेकिन दोपहर ढलते-ढलते उसकी सुईं 104 तक अटक गई। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस 78 और जेडीएस 38 सीटों तक पहुंच गई. कांग्रेस ने तुरंत इस आंकड़े को जोड़कर जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला कर लिया। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद कर्नाटक में मौजूद अपने नेताओं को जेडीएस संस्थापक एचडी देवगौड़ा से बात करने के निर्देश दिए. कांग्रेस ने जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को सीएम पद ऑफर कर दिया और शाम होने से पहले ही दोनों दलों में गठजोड़ हो गया।
कांग्रेस ने जेडीएस से बात करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती को भी लगाया। मायावती ने कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और उनकी पार्टी के एक विधायक ने जीत भी दर्ज की है. कांग्रेस ने जेडीएस को साथ लाने के लिए इस हथियार का भी इस्तेमाल किया।
15 मई को जब जेडीएस से बात बन गई तो कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा और जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। शाम 5 बजे बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने सरकार का दावा पेश किया और उनके पीछे-पीछे 5.30 बजे जेडीएस और कांग्रेस नेता राजभवन पहुंच गए और अपनी चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दी।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच ही ये खबरें आने लगीं कि कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। बीजेपी के इस वार का पलटवार करते हुए जेडीएस और कांग्रेस ने बीजेपी पर अपने विधायकों की खरीद के लिए 100 करोड़ के प्रलोभन का आरोप लगा डाला। बाद में कांग्रेस ने बीजेपी नेताओं पर विधायकों को खरीदने की कोशिश के सबूत होने के भी दावे किए. फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस ने बीएस येदियुरप्पा, श्रीरामुलू और दूसरे बीजेपी नेताओं के ऑडियो क्लिप भी जारी किए।
कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को भी अलग नहीं होने दिया. 16 मई को दोनों पार्टियों के विधायकों की राजभवन तक परेड तक करा दी गई और राज्यपाल को 117 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र तक सौंप दिया।
कांग्रेस ने अपने विधायकों को इकट्ठा कर बेंगलुरु के ईगलटन रिजॉर्ट में जमा कर लिया। इसके बाद खतरा मंडराता देख विधायकों को बेंगलुरु से हैदराबाद भेजा गया।
16 मई को रात 8.30 बजे राज्‍यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्‍योता भेज दिया. जिसके बाद येदियुरप्‍पा ने 17 मई की सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की घोषणा कर दी। येदियुरप्‍पा को 15 दिन में बहुमत साबित करने का मौका मिला. कांग्रेस ने राज्यपाल के इस फैसले पर सवाल उठाए और रात में ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया।
कांग्रेस और जेडीएस की अर्जी पर रात पौने दो बजे सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की और सुबह 5.27 बजे सुप्रीम कोर्ट में बहस पूरी हो गई। येद्दयुरप्पा की शपथ को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई. लेकिन कोर्ट ने फिर से मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया और दिन की सुनवाई में कोर्ट ने येदियुरप्पा को 24 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश वकील ने यहां तक कहा कि बहुमत साबित करने के लिए सोमवार तक का वक्त दिया जाए, क्योंकि विधायक बाहर हैं. इस पर कांग्रेस के वकील ने कहा कि उनके विधायक 24 घंटे के अंदर लौट आएंगे।
बीएस येद्दयुरप्पा ने 17 मई की सुबह सीएम पद की शपथ ले ली. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने इसका जबरदस्त विरोध किया. यहां तक कि दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गए. कांग्रेस नेता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा तक को लेकर चिलचिलाती धूप में धरने पर बैठ गए. यहां तक कि देशभर में लोकतंत्र बचाओ के आह्वान के साथ देशभर में धरने-प्रदर्शन भी कराए।
18 मई को राज्यपाल ने नवगठित विधानसभा के संचालन हेतु अस्थायी (प्रोटेम) स्पीकर के लिए बीजेपी के विधायक केजी बोपैया को चुना. इस पर विरोध शुरू हो गया. कांग्रेस रात में ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और के.जी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर के पद से हटाने की मांग की. हालांकि, शनिवार सुबह जब सुनवाई हुई तो कोर्ट ने कांग्रेस की मांग नकार दी, लेकिन इस बात पर बहस शांत हुई कि बहुमत परीक्षण का लाइव प्रसारण होगा. कांग्रेस ने इसे भी अपनी जीत के रूप में लिया।
आज फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा में सभी विधायकों ने शपथ ग्रहण की. इस दौरान लंच के वक्त सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. लंच के दौरान भी कांग्रेस ने अपने विधायकों को किसी बीजेपी नेता के संपर्क में नहीं आने दिया और पैकेट भेजकर विधायकों को लंच कराया गया. बाद में बीजेपी सूत्रों से ये जानकारी भी मिली कि बीजेपी का प्लान लंच के दौरान ही कांग्रेस और जेडीएस विधायकों से संपर्क बनाने और उन्हें समर्थन के लिए मनाने का था, लेकिन ऐसा भी नहीं हो पाया और उन्होंने सदन के अंदर इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया।
कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार रविवार को कुमारस्‍वाती सीएम के रूप में शपथ ले सकते हैं। भाजपा की विधानसभा में 104 सीटें हैं और कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन के पास 115 सीटें हैं।
कर्नाटक विधानसभा में बीएस येद्दयुरप्पा ने सीएम पद से इस्तीफे का ऐलान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी के विधायक और स्पीकर राष्ट्रगान खत्म होने से पहले ही चले गए. इससे साबित होता है कि संस्थाओं का कितना सम्मान करते हैं. इसके साथ ही खबर मिल रही है कि रविवार को जेडीएस के अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के नये सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। उनके साथ कांग्रेस के जी. परमेश्वर को भी उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इससे पहले येदियुरप्पा फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा का ऐलान कर दिया. इस्तीफे से पहले बीएस येद्दयुरप्पा ने भाषण दिया। भाषण के दौरान वह भावुक भी हुये और कहा कि वह किसानों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के सुशासन की वजह से बीजेपी ने 104 सीटें जीती हैं।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी आलाकमान ने पहले ही संकेत दे दिया था कि नंबर न होने की स्थिति में बीएस येद्दयुरप्पा इस्तीफा दे देंगे ताकि चुनावी साल में किसी भी तरह के खरीद-फरोख्त का आरोप न लगे।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि केजी बोपैया कर्नाटक विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे। इसके साथ ही आज विधानसभा में बहुमत परीक्षण का लाइव टेलीकॉस्ट भी किया जाएगा। ​ 15 मई 2018 को मतगणना के बाद कर्नाटक विधानसभा में किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला। बीजेपी 104 सीट पर जीत दर्ज की जबकि कांग्रेस 78 सीटों पर जीत दर्ज की. जेडीएस के खाते में 38 सीट गई जीत दर्ज करने में सफल रहे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, 19 मई की शाम 4 बजे कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्‍पा को अपना बहुमत साबित करना होगा. बीएस येदियुरप्पा17 मई की सुबह 9:30 बजे कर्नाटक के 25वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए थें। शाम 4 बजे यह तय हो जाएगा कि उनकी बीएस येद्दयुरप्पा की सरकार कर्नाटक में रहेगी या नहीं।
न रेड्डी काम आये न बोपैया-येद्दयुरप्पा को देना पड़ा इस्तीफा, अब तीसरे नंबर की पार्टी के नेता कुमारस्‍वामी कांग्रेस के दयाभाव से बनेंगे कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री।
देखा जाए तो कर्नाटक विधान सभा चुनाव में भाजपा ने अबकी बार बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया और पिछले चुनाव में 40 लेकर आई भाजपा अबकी बार 104 सीटें लेकर सबसे बडी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन भाजपा राज्य में सरकार बनाने से रह गई। बहुमत के लिए सात सीटें कम थी।

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