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किचन गार्डन आज की आवश्यकता

कृषि / पर्यावरण

सब्जी बगीचा में सब्जी उत्पादन का प्रचलन प्राचीनकाल से चला आ रहा है। अच्छे स्वास्थ्य के लिये दैनिक आहार में संतुलित पोषण का होना बहुत जरूरी है। फल एवं सब्जियां इसी संतुलन को बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, क्योंकि ये विटामिन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते है। फिर भी यह जरूरी है कि इन फल एवं सब्जियों की नियमित उपलब्धता बनी रहे इसके लिये घर के चारों तरफ उपलब्ध भूमि पर घर के साधनों जैसे- उपलब्ध भूमि में रसोई व नहाने के पानी का समुचित उपयोग करते हुए स्वयं एवं परिवार के सदस्यों की देखरेख व प्रबंधन में स्वास्थ्यवर्धक व गुणवत्ता युक्त मनपसंद सब्जियों, फलों व फूलों का उत्पादन कर दैनिक आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।
सब्जी बगीचा लगाने के लाभ :
1. घर के चारों ओर खाली भूमि का सदुपयोग हो जाता है।
2. घर के व्यर्थ पानी व कूड़ा-करकट का सदुपयोग हो जाता है।
3. मन पसंद सब्जियों की प्राप्ति होती है।
4. साल भर स्वास्थ्यवर्धक, गुणवत्तायुक्त व सस्ती सब्जी, फल एवं फूल प्राप्त होते रहते हंै।
5. परिवार के सदस्यों का मनोरंजन व व्यायाम का अच्छा साधन है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
6. पारिवारिक व्यय में बचत होता है।
7. सब्जी खरीदने के लिये अन्यत्र जाना नहीं पड़ता।
बोने एवं पौध रोपण का समय : सब्जियों को मौसम के हिसाब से लगाया जाना चाहिये।
खरीफ मौसम वाली सब्जियां – इन्हें जून-जुलाई में लगाया जाता है जैसे लोबिया, तोरई, गिल्की, भिंडी, अरबी, करेला, लौकी, ग्वार, मिर्च टमाटर आदि।
रबी मौसम वाली सब्जियां : इन्हें सितंबर-नवम्बर में लगाया जाता है जैसे बैंगन, टमाटर, मिर्च, आलू, मेथी प्याज, लहसुन, धनिया, पालक, गोभी, गाजर, मटर आदि।
जायद मौसम वाली सब्जियां- इन्हें फरवरी-मार्च में बोया जाता है जैसे कद्दूवर्गीय सब्जियां, भिंडी आदि
यहां फसल चक्र एवं मौसम के हिसाब से सब्जी बगीचा में लगाने के लिये कुछ महत्वपूर्ण सब्जियों के उदाहरण सारणी के माध्यम से दिया जा रहा है जो कि सब्जी बगीचा लगाने वालों के लिये फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
सब्जी बगीचा लगाने हेतु ध्यान देने योग्य बातें
1. सब्जी बगीचा के एक किनारे पर खाद का गड्ढा बनाये जिससे घर का कचरा, पौधों का अवशेष डाला जा सके जो बाद में सड़कर खाद के रूप में प्रयोग किया जा सके।
2. बगीचे की सुरक्षा के लिये कंटीले झाड़ी व तार से बाड़ (फेंसिंग) लगाये, जिसमें लता वाली सब्जियां लगाये।
3. सब्जियों एवं पौधों की देखभाल एवं आने जाने के लिये छोटे-छोटे रास्ते बनाये।
4. रोपाई की जाने वाली सब्जियों के लिये किसी किनारे पर पौधशाला बनाये जहां पौध तैयार किया जा सके।
5. आवश्यकतानुसार सब्जियों के लिये छोटी-छोटी क्यारियां बनावे।
6. क्यारियों के ंिसंचाई हेतु नालियां बनायें।
7. फलदार वृक्षों को पश्चिम दिशा की ओर एक किनारों पर लगाये जिससे छाया का प्रभाव अन्य पर ना पड़े।
8. मनोरंजन के लिये उपलब्ध भूमि के हिसाब से मुख्य मार्ग पर लान (हरियाली) लगाये।
9. फूलों को गमलों पर लगाये एवं रास्तों के किनारों पर रखे।
10. जड़ वाली सब्जियों को मेड़ों पर उगायें।
11. फसल चक्र के सिद्धांतों के अनुसार सब्जियों का चुनाव करें।
12. समय-समय पर निराई-गुड़ाई, एवं सब्जियों, फलों व फूलों के तैयार होने पर तुड़ाई करते रहे।
13. सब्जियों का चयन इस प्रकार करे कि साल भर उपलब्धता बनी रहे।
14. कीटनाशकों व रोगनाशक का रसायनों का प्रयोग कम से कम करे यदि फिर भी उपयोग जरूरी हो तो तुड़ाई के पश्चात व कम प्रतीक्षा अवधि वाले रसायनों का प्रयोग करें।

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