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कामकाजी महिलाए बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार!

अपराध, आधीआबादी, उत्तराखंड

छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी को लेकर स्कूलों में जो पाठ पढ़ाया जा रहा है, उसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। राज्य की 10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब ने कामकाजी महिलाओं को देश में बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण बताया है। इससे आहत एक महिला अध्यापक ने राज्य महिला आयोग में शिकायत की है।
छत्तीसगढ़ सैकंडरी बोर्ड की ओर से प्रकाशित सामाजिक विज्ञान की किताब में कामकाजी महिलाओं को देश में बेरोजगारी की सबसे बड़ी वजह बताया गया है। किताब के आर्थिक समस्याएं और चुनौतियां शीर्षक अध्याय में लिखा है कि आजादी के बाद बेरोजगारी बढ़ी है क्योंकि महिलाओं ने सभी क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया है।
इसके विरोध में जशपुर की 24 वर्षीय महिला अध्यापक सौम्या गर्ग ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए राज्य महिला आयोग में शिकायत की है। सौम्या का कहना है कि क्या बेरोजगारी के मानक पुरूषों को ध्यान में रखकर ही बनाए जाते हैं। तकनीक और लैंगिक समानता के युग में छात्रों को भेदभावपूर्ण पाठ नहीं पढ़ाया जा सकता है।
सौम्या ने करीब एक महीने पहले राज्य महिला आयोग को पत्र लिखा था लेकिन अभी तक उनके पत्र का कोई जवाब नहीं आया है। हालांकि महिला आयोग की सदस्य हर्षिता पांडे का कहना है कि आयोग जल्द ही इसे स्वीकार करेगा और अपनी सहमति देगा। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के लिए महिलाओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। मैं इस बारे में मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री को पत्र लिखूंगी।
उधर, राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के निदेशक संजय ओझा ने इसे बहस का विषय बताते हुए कहा है कि यह अनुभव के आधार पर लेखक का अपना मत है। यह 2006-2007 में लिखा गया था और बाद में फिर से प्रकाशित किया गया। इसे तुरंत नहीं हटाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि वे इसे छात्रों को किस तरह से समझाते हैं।

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