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कल घर-घर पूजी जायेगी विद्या की देवी माँ सरस्वती की

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विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा कल बुधवार को धूमधाम से मनाई जाएगी. बिहार के विभिन्न स्थानो सहित बंगाल के चक्करमारी में मूर्तिकारों द्वारा माँ शारदे की प्रतिमा को अंतिम रूप दिए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण पर है. ग्रामीण इलाकों में जगह-जगह युवाओं द्वारा उत्साहपूर्वक पूजा के लिए पंडालों का निर्माण जोरों पर है. वहीं बाजारों में माँ की प्रतिमा व सजावट की सामग्रियों से दुकानें पट इस पूजा को लेकर खासकर बच्चों में ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है. सरस्वती पूजा प्रतिवर्ष बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है. यह पूजा माँ सरस्वती जिन्हें विद्या की देवी माना जाता है के सम्मान में आयोजित किया जाता है.गई है.भारत के कुछ क्षेत्रों में इसे बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. माँ सरस्वती को विद्यादायिनी एवं हंसवाहिनी कहा जाता है. सरस्वती पूजा के आयोजन के ख्याल से ही छात्र-छात्राओं में जोश का संचार हो जाता है. प्रत्येक शिक्षण-संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा पूरी तन्मयता के साथ सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है. बड़े-बूढ़े भी बच्चों को पूरा सहयोग देते हैं. छात्रों द्वारा अपने समूहों से तथा कुछ परिचितों से चंदा भी एकत्रित किया जाता है. छात्रगण पूजा के कुछ दिनों पूर्व से ही साज-सज्जा के कार्यों में संलग्न हो जाते हैं.
क्या है बसंत पंचमी:
आचार्य यशोधर झा का कहना है कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी कहा जाता है. माना जाता है कि विद्या, बुद्धि व ज्ञान की देवी सरस्वती का आविर्भाव इसी दिन हुआ था. हिंदूओं के पौराणिक ग्रंथों में भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है व हर नए काम की शुरुआत के लिए यह बहुत ही मंगलकारी माना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार बसंत पंचमी का त्यौहार 01 फरवरी को होगा.पौराणिक कथा:
माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि की रचना तो कर दी लेकिन वे इसकी नीरसता को देखकर असंतुष्ट थें, फिर उन्होंनें अपने कमंडल से जल छिटका जिससे धरा हरी-भरी हो गई व साथ ही विद्या, बुद्धि, ज्ञान व संगीत की देवी प्रकट हुई. ब्रह्मा जी ने आदेश दिया कि इस श्रृष्टि में ज्ञान व संगीत का संचार कर जगत का उद्धार करो. तभी देवी ने वीणा के तार झंकृत किए जिससे सभी प्राणी बोलने लगे, नदियां कलकल कर बहने लगी हवा ने भी सन्नाटे को चीरता हुआ संगीत पैदा किया. तभी से बुद्धि व संगीत की देवी के रुप में सरस्वती पूजी जाने लगी.
मान्यता है कि जब सरस्वती प्रकट हुई तो भगवान श्री कृष्ण को देखकर उनपर मोहित हो गई व भगवान श्री कृष्ण से पत्नी रुप में स्वीकारने का अनुरोध किया, लेकिन श्री कृष्ण ने राधा के प्रति समर्पण जताते हुए मां सरस्वती को वरदान दिया कि आज से माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी को समस्त विश्व तुम्हारी विद्या व ज्ञान की देवी के रुप में पूजा करेगा. उसी समय भगवान श्री कृष्ण ने सबसे पहले देवी सरस्वती की पूजा की तब से लेकर निरंतर बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा लोग करते आ रहे हैं.
क्यों खास है बसंत पंचमी:
बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार तो इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ए बनाना चाहिए इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है. बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है. 6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है.
चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं. इस लिहाज से अपने परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है व बहुत से युगल इस दिन अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं. गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है. इस दिन कई लोग पीले वस्त्र धारण कर पतंगबाजी भी करते हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त:
बसंत पंचमी – 01 फरवरी 2017
पूजा का समय – 07:13 से 12:34 बजे तक
पंचमी तिथि का आरंभ – 03:41 बजे से (01 फरवरी 2017)
पंचमी तिथि समाप्त – 02:20 बजे (02 फरवरी 2017)

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