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कल केवल वरिष्ठ नागरिक ही बदल सकेंगे नोट : भारतीय बैंक संघ

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नोटबंदी को लेकर जारी अफरा -तफरी के बीच भारतीय बैंक संघ ने बड़ी घोषणा की है. भारतीय बैंक संघ के अध्यक्ष राजीव ऋषि ने कहा है कि कल सिर्फ वरिष्ठ नागरिक ही नोट बदल सकेंगे. अन्य सभी सेवाएं पूर्व की तरह कार्यरत होंगी. उन्होंने कहा कि बैंकों के कई अन्य काम पहले से ही पेंडिग है. उन्हें पूरा किया जाना बाकी है. बैंकों में आने वाली भीड़ के बारे में उन्होंने बताया कि स्याही का नियम लगाने के बाद अब भीड़ में 40 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गयी है.
आज शुक्रवार को दिन भर नोट बंदी को लेकर सरकार ने कई घोषणाएं की है. वित्त मंत्रालय ने आज यह स्पष्ट किया है कि पुराने नोटों के एक्सचेंज रोकने का कोई इरादा नहीं है. ज्ञात हो की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि सरकार 24 नवंबर के बाद नोट एक्सचेंज बंद कर सकती है. वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सरकार वैसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी जो अपने अकाउंट का दुरूपयोग दूसरे लोगों के ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में तब्दील करने के लिए कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने नोटबंदी के तहत 500 व 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया है. सरकार ने पुराने नोटों को जमा कराने के लिए 30 दिसंबर तक 50 दिन का समय दिया है. ऐसी रपटें हैं कि लोग अपने कालेधन को सफेद करने के लिए दूसरे लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं. खातों के इस तरह के दुरुपयोग के लिए खाताधारक को कमीशन आदि देने की भी खबरें आ रही हैं. सरकार ने इससे पहले कहा था कि बैंक खातों में 2.50 लाख रुपये तक की जमाओं की कोई आयकर जांच नहीं होगी क्योंकि यह तो कर छूट के दायरे में आती है. वहीं जनधन खातों के मामले में यह सीमा 50,000 रुपये है.
आयकर विभाग के अनुसार लोगों का शायद यह मानना है कि 9 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान 2.50 लाख रुपये तक की जमाओं के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस पर मंत्रालय ने कहा है, ‘अगर यह साबित हो जाता कि कि खाते में जमा राशि खाताधारक की नहीं थी और खाताधारक ने अपने खाते का दुरुपयोग करने की अनुमति दी है तो आयकर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी.
वित्त मंत्रालय का बयान ऐसे समय में आया जब देश में नोट एक्सचेंज करने के लिए बैंकों में लंबी-लंबी कतारे लगी हुई है. सरकार का मानना है कि कालेधन से पैदा समानंतर अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रही है. दूसरों की तुलना में गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों पर यह प्रतिकूल प्रभाव डालता है.

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