कम खर्च- बिना लागत का उपाय रबी फसलों को कतार में बोएं अधिक लाभ पाएं
कृषि / पर्यावरण December 29, 2016पौधों की वांछित संख्या रखें
पौधों की संख्या का नियंत्रण यद्यपि बिना खर्च वाला साधन तो नहीं है, किंतु कम खर्च वाला अवश्य है। इसका महत्व उपज को प्रभावित करने में बहुत है। किसी भी फसल की प्रति हेक्टेयर उपज, प्रति हेक्टेयर उपज का गुणनफल होती है। एक ही स्तर पर दिये गए उर्वरक जल एवं अन्य साधनों पर वांछित पौध संख्या होने पर उपज अधिक मिलती है, क्योंकि सभी साधनों का भरपूर उपयोग हो जाता है। अब ऐसी किस्में उपलब्ध हैं जिनकी अधिक संख्या प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित की जा सकती है और उससे उपज पर विपरीत असर नहीं पड़ता है। साथ ही यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि अनावश्यक रूप से घनी फसल में पौधों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा होती है, फलस्वरूप उपज कम हो जाती है। हर फसल के लिये जो अनुमोदित दरों एवं बीज दर है, उसका कड़ाई के साथ पालन करें और समुचित लाभ उठायें। कम पौध संख्या होने पर खर्चीले साधनों की क्षमता बहुत कम हो जाती है।
अधिकाधिक लाभ के लिये फसल कतारों में बोयें
खेती का सर्वमान्य तरीका उसे कहा जायेगा जिसे हर किसान अपना सके और फिर एक बार अपनाने पर बुआई के कार्य से पहले का सोचा हुआ वांछित लाभ मिलने लगे। इस तरीके से सभी फसलों को उचित फासले पर कतारों में बीज बोये जाते हैं। कतारों में बीज से बीज की दूरी तथा कूड़ों में बीज की गहराई भी सही रखी जा सकती है। इस विधि में बीज ड्रिल से बोए जाते हैं अथवा बैलों से खेती करने वाले किसान हल के पीछे पोरा लगाकर या हल के पीछे कूंड में हाथ से बीजों को गिराते हैं। वर्तमान समय में अधिकांश किसान इस तरीके को अपना रहे हैं, क्योंकि इस तरीके से उनकी अपनी फसलों से समुचित पैदावार मिलने लगी है। जो किसान इस तरीके को अपनाने लगे हैं, उन्होंने अच्छी पैदावार लेने के अन्य उपायों को सीख लिया है, जैसे खेत की अच्छी तैयारी, मिट्टी की जांच के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग भूमि तथा बीज का उपचार, कृषि रक्षा कार्य आदि। कतारों में बुआई के तरीके अपनाने पर बीज की बचत होती है, क्योंकि किसान को निश्चित रकबे के अनुसार वैज्ञानिकों अथवा कृषि अधिकारियों द्वारा निर्धारित बीज मात्रा का प्रयोग करना होता है। बीज निश्चित दूरी पर बोए जाते हैं, इसलिये किसान बीजों के जमाव प्रतिशत पर भी ध्यान देते हैं। इस कारण किसान प्रमाणित बीज बोने के आदि होते जा रहे हैं। जब प्रमाणित बीज अच्छे ढंग से बोए जाएंगे तो पैदावार निश्चित ही अच्छी मिलेगी।
उचित फासले पर बोई गई फसल को देखकर ग्रामीण कृषि अधिकारी, कृषि मित्र उत्साहित होकर किसानों को उर्वरकों के प्रयोग की वैज्ञानिक विधि भी बताते हैं। छिड़ककर उर्वरक देने से पौधों को उनका पूरा का पूरा लाभ नहीं मिलता है। जब बीज कतारों में बोए जा रहे हों तो उर्वरक भी कतारों में आसानी से डाला जा सकता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि नाइट्रोजनधारी उर्वरकों की आधी मात्रा और फास्फोरसधारी और पोटाश धारी उर्वरकों का प्रयोग बुआई के साथ ही हो जाए। साथ ही उर्वरकों को बीज के संपर्क में न होने दिया जाये इसलिये कूंड में बीज से 3 से.मी. नीचे तथा 5 से.मी. बगल में उर्वरकों को देना होता है। इस तरह उर्वरक पौधों की जड़ों के पास पडऩे से पौधों को शीघ्र और आसानी से मिल जाते हैं। इससे फसल अच्छी होती है। और उर्वरकों के दाम अधिक होने पर भी सही प्रयोग के कारण उपज बढऩे से लागत में कमी आती है। दलहनी फसलों में इस प्रकार उर्वरक प्रयोग करने से विशेष लाभ होता है। दो कतारों के बीच में टॉप-ड्रेसिंग का कार्य भी आसानी से हो जाता है और पौधों को नाइट्रोजन धारी उर्वरकों का बराबर भाग मिलता है। बड़े किसान फर्टिसीड ड्रिल का इस्तेमाल करते हैं और अधिक लाभान्वित होते हैं। किसान कभी मजबूरी में कम उर्वरक प्रयोग कर पाते हंै, लेकिन इस तरीके से उन्हें भी अधिक लाभ मिलता है।
जब फसल कतारों में बोई जाती है तो पौधों को सूरज का प्रकाश गर्मी, वायु तथा वायुमंडलीय नमी भी एक समान मिलती है। इसी प्रकार सभी पौधों को बराबर मात्रा में खाद-पानी मिलता है। पौधे अपनी जड़ों से पोषक तत्व खींचते हैं। पत्तियाँ सूरज की रोशनी और हवा में मौजूद कार्बन डाई आक्साइड गैस की मदद से भोजन बनाती हैं। कतारों में होने पर सभी पौधों को ये तत्व समान मात्रा में मिलते हैं। पौधों की बढ़वार के लिये होड़ भी नहीं होती है। पौधों की अनावश्यक बढ़वार न होने से फसल हवा चलने पर भी कम गिरती हैं।
प्राय: खेत में ड्रिल से बोआई करते समय कभी-कभी बीजों का गिरना रुक जाने अथवा बीज के अधिक गहराई पर गिरने के कारण यदि किसी स्थान पर खाली जगह रह जाती है तो कतारों वाली फसलों में दोबारा बीज डालकर पौधों की संख्या पूरी कर सकते हैं। इस प्रकार उपज में कमी नहीं आती है। छिटकवां विधि में खाली स्थानों को खोजकर भी पूर्ति करना कठिन रहता है।
कतारों में बोई गई फसलों की निराई-गुड़ाई में कम समय लगता है। दो कतारों के बीच के खाली स्थान में ही खरपतवार उगते हंै। अत: अलग-अलग फसलों के फासले को ध्यान में रखकर उन्नत कृषि यंत्र से गुड़ाई की जा सकती है। इन गुड़ाई यंत्रों में हैण्ड हो, खुरपी, कल्टीवेटर, कुदाली शामिल हैं। खरपतवार निकालने का यह सबसे आसान और उत्तम तरीका है। पौधों को निराई-गुड़ाई के समय कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
कतारों में बोई गई फसल में पानी का दुरपयोग नहीं होता है। प्रत्येक कतार के पौधों को समान मात्रा में सिंचाई का पानी मिल जाता है। यदि खेत में कहीं से पानी का रुख बदलना पड़े तो फावड़ा आदि चलाने व मिट्टी उठाने के लिये कतारों के बीच खाली स्थान मिल जाता है। खेत में सिंचाई के समय कई बार यह कार्य करना होता है। फलस्वरूप पौधे कुचलने से बच जाते हैं।
कतारों में बोने पर मिट्टी चढ़ाने का काम भी आसानी से किया जा सकता है। कतारों के बीच के खाली स्थान से मिट्टी खोद कर दोनों ओर चढ़ाया जा सकता है। छिटकवां बुआई में ऐसा करना संभव नहीं होता। सघन खेती कार्यक्रमों के अंतर्गत अब किसान मिलवां खेती काफी करने लगे हैं। रबी के मौसम में कई फसल ऐसी हैं जिनमें अंतरवर्तीय फसलें सफलतापूर्वक उगाई जा सकती हैं। जब मुख्य फसल को दो कतारों के बीच में कोई दूसरी फसल बोई जाती है तो यह अतिरिक्त मुनाफे की फसल कही जाती है। इस विधि में अनाज की प्रत्येक दो कतारों के बीच दालों की फसलों को उगाने का अधिक लाभ मिलता है। 1:9 सरसों की एक कतार तथा चना की 9 कतार के अनुपात में बोनी करना लाभदायक होता है। 1:9 कम पानी या असिंचित गेहूं की सरसों के साथ अंतरवर्तीय खेती को काफी लाभ होता है। इनके कतार का अनुपात। कतार सरसों एवं 9 कतार गेहूं की बुआई करें। इसी प्रकार असिंचित दशा में गेहूं (नर्मदा-4 या सी-306)+ सरसों (पूसा बोल्ड 8:2, चना (जे.जी.315 या जे.जी.322)+सरसों (पूसा बोल्ड) 6:2 और सिंचित दशा में गेहूं+राई (9:1), जौ+राई (6:1) आलू+राई (3:1), चना+राई (4:1), अलसी+राई (6:2) को बोयें।
कतारों में बोई गई फसल में अंकुरण पश्चात अंत:कर्षण क्रियायें संपादित की जानी चाहिए तथा निकाले गए खरपतवारों का पलवार के रूप में उपयोग करें। अंत:कर्षण क्रियाओं का उद्देश्य खरपतवारों का नियंत्रण, वाष्पोत्सर्जन के द्वारा नमी हृास सीधे भूमि की ऊपरी सतह से रोकना, भूमि में वायु संचार बढ़ाना जिससे की लाभदायक जीवाणुओं की गतिविधि बढ़ सके । भूमि की जलधारण क्षमता में वृद्धि करना। बोई गई फसल से अवांछित पौधों को निकालना, जिससे कि पोषक तत्वों के नुकसान को रोका जा सके एवं फसल को उचित वातावरण मिल सके आदि होते हैं। फसल जब कतार में होती है तो खड़ी फसल की देखभाल अच्छी तरह से की जा सकती है। रोगों और कीड़ों का पता आसानी से लग सकता है। ऊंची फसल में भी कतारों के बीच चल फिर कर अच्छी तरह दवा का छिड़़काव किया जा सकता है। इन सब बातों के अलावा खेती के अन्य कार्य जैसे फसलों की कटाई, फलियों की तुड़ाई भी सुगमता से किए जा सकते हैं। दो कतारों के बीच खाली स्थानों की तुड़ाई के समय टोकरी आदि रखने से फसल दबती नहीं है। कई आदमी एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।
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