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एक दिसंबर से दाखिल खारिज और एलपीसी ऑनलाइन शुरू

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जमीन की खरीद-बिक्री के बाद म्यूटेशन यानी दाखिल-खारिज और सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए जरूरी एलपीसी (भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र) के लिए प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगाने की अब जरूरत नहीं है. एक दिसंबर से दाखिल-खारिज व एलपीसी ऑनलाइन शुरू हो गया है. सरकार की इस नयी ऑनलाइन प्रबंधन से मात्र डेढ़ माह में दो लाख से अधिक म्यूटेशन और लगभग एक लाख से अधिक एलपीसी जारी करना संभव हो पाया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी ने बताया कि प्रखंडों में दाखिल खारिज और एलपीसी जारी करने के लिए आवेदन करने का एक सप्ताह का समय निर्धारित है. वह भी विवाद वाले मामले में. अधिकारी ने बताया कि जिस जमीन में विवाद नहीं है, उसके दाखिल खारिज या एलपीसी दो दिनों के अंदर जारी करना है.
वहीं विवाद वाले जमीन के मामले में अंचलाधिकारी को निष्पादन के लिए सात दिन का समय तय किया गया है. आमतौर पर दो दिनों में इसके निष्पादन के बजाय सभी मामलों को विवाद में डाल दिया जाता है. इसके बावजूद लोगों को सात दिनों में दाखिल खारिज हो जा रहा और एलपीसी भी मिल रहा है.
ऐसे करना है आवेदन
दाखिल खारिज और एलपीसी के लिए प्रखंड कार्यालय के आरटीपीएस काउंटर पर आवेदन करना होगा. आवदेनकर्ता घर बैठे आवेदन के नंबर से वेबसाइट से जारी म्यूटेशन या एलपीसी प्राप्त कर सकता है. इसकी निगरानी और मॉनीटरिंग बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन द्वारा किया जा रहा है.
मिशन के अधिकारी कंप्यूटर के माध्यम से प्राप्त होने वाले आवेदन और उसके निष्पादन की एक-एक जानकारी ले रहे हैं. एक दिन की भी देरी पर संबंधित अंचलाधिकारी को मिशन को देरी होने का जवाब देना होता है. देरी होने पर किसी ने मिशन में शिकायत की तो मिशन के अधिकारी आवेदन के नंबर से उसकी स्थिति की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं. इससे सुविधा होती है. साथ ही संबंधित सीओ को इसके लिए निर्देश जारी किया जाता है.
बिहार प्रशासनिक मिशन के आंकड़ों के मुताबिक 16 जनवरी तक जारी सबसे अधिक म्यूटेशन के लिए 68163 आवेदन सीतामढ़ी में दर्ज किया, वहीं पश्चिम चंपारण में 15001, पूर्वी चंपारण में 18832, सीवान में 8755, पूर्णिया में 8826, औरंगाबाद में 6787 आवेदन अपलोड किया गया. अधिकारी ने बताया कि बिना की किसी परेशानी के म्यूटेशन और एलपीसी मिलने के कारण एक-एक दिन में दो हजार से अधिक आवेदन प्रखंडों के आरटीपीएस काउंटर में जमा किया जा रहा है. यही हाल एलपीसी की भी है.

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