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एकेडमिक रिफॉर्म को लेकर बिहार में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में एक साथ परीक्षा ली जा सकेगी

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बिहार में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल की तर्ज पर उच्चशिक्षा बोर्ड बनेगा। एकेडमिक रिफॉर्म को लेकर गठित होने वाले इस हायर एजुकेशन बोर्ड के क्रियाशील होने से राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में एक साथ परीक्षा ली जा सकेगी और एक साथ ही परीक्षाफल घोषित होंगे। इससे विश्वविद्यालयों की लेट-लतीफी से छात्र-छात्राओं को मुक्ति मिलेगी और उनका सत्र पिछड़ेगा नहीं। सोमवार को शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी की अध्यक्षता में हुई राज्य उच्चशिक्षा परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने बताया कि हायर एजुकेशन का बोर्ड गठित करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बनेगा। राज्य के विश्वविद्यालयों में वर्ष 2013 तक की रिक्ति के आधार पर बिहार लोकसेवा आयोग में 3345 सहायक प्राध्यापकों के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। उच्च शिक्षा परिषद की बैठक में तय हुआ कि पिछले तीन साल (31 मार्च 2013 से लेकर अबतक) में होने वाली रिक्तयां 31 मार्च 2016 तक सभी विश्वविद्यालय राज्य सरकार को भेज दें। डॉ. चौधरी ने कहा कि रिक्तियां मिलते ही उनका महकमा इन पदों पर सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति करने के लिए बीपीएससी को भेजेगा।
उन्होंने बताया कि उच्चशिक्षा की गुणवत्ता और एकेडमिक रिफॉर्म को लेकर छात्रहित में उच्चशिक्षा परिषद ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। राज्य में 240 ऐसे प्रखंड हैं, जहां डिग्री कॉलेज नहीं है। ऐसे प्रखंडों के प्लसटू स्कूलों में हायर एजुकेशन के लिए दूरस्थ शिक्षा केन्द्र खोले जाएंगे। शिवहर राज्य का इकलौता जिला था जहां कोई डिग्री कॉलेज नहीं था। वहां दूरस्थ शिक्षा केंद्र खुल गए हैं। अब बीआरए बिहार विवि, नालंदा खुला विवि और मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विवि भी अपना केन्द्र जल्द ही शिवहर में शुरू करेंगे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक और विकास पदाधिकारी के पदों का कार्यकाल तय किया जाए। गौरतलब है कि अबतक इन पदों पर कार्यकाल ‘कृपा’ पर निर्भर रहता है। यह भी निर्णय लिया गया कि पटना और मुजफ्फरपुर में स्थापित एकेडमिक स्टाफ कॉलेज अब ‘ूमन रिसोर्स सेंटर के रूप में तब्दील किए जाएंगे।
शिक्षा मंत्री ने उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर (ग्रास इनरॉलमेंट रेशियों-जीईआर) तीस फीसदी करने का लक्ष्य दिया है। फिलहाल यह बिहार में 13 फीसदी है और पूरे देश का 23.6 है। बैठक में प्रधानसचिव डॉ. डीएस गंगवार, परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. कामेश्वर झा, अपर सचिव के सेंथिल कुमार समेत काउंसिल के सभी 15 सदस्य शामिल हुए।

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