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उपभोक्ताओं के हित की रक्षा के लिए बना जिला उपभोक्ता फोरम सिर्फ नाम का

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जिला मुख्यालयों में उपभोक्ताओं के हित की रक्षा के लिए बना जिला उपभोक्ता फोरम सिर्फ नाम का रह गया है. पिछले 9 महीने से रिक्त पड़े अध्यक्ष के कारण मामलों का निष्पादन ठप पड़ा है. निर्धारित तिथियों पर हाजिरी- मोहलत लगाते उपभोक्ताओं के पास कोसने के सिवाय कुछ बचा ही नहीं है. नये अध्यक्ष की नियुक्ति की अब तक सुगबुगाहट नहीं मिलने से उपभोक्ता फोरम में दाखिल होने वाले मामलों की रफ़्तार काफी धीमी हो गई है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 1986 में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए लाये गये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जिलों में उपभोक्ता फोरम का गठन हुआ. फोरम में सेवा निवृत जिला जज या अपर जिला जज के अध्यक्ष व व्यापारिक/सामाजिक क्षेत्र से एक सदस्य व महिला समुदाय से दूसरे सदस्य की नियुक्ति का प्रावधान रखा गया. अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य स्तरीय उपभोक्ता व विधि मंत्रालय के अधीन गठित समिति किया करती है, जबकि सदस्यों की नियुक्ति संबंधित जिला जज व जिलाधिकारी की अनुशंसा पर भेजे गये नामों के पैनल से राज्य सरकार करती है. तीन वर्षों की अवधि वाले अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति में अक्सर होने वाले विलंब से फोरम का कार्य प्रभावित होता रहता है.
प्रावधान के अनुसार किसी भी वाद के निष्पादन में अध्यक्ष के साथ किसी एक सदस्य का होना अनिवार्य माना गया है. 9 महिना पहले यहां के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह के सेवा मुक्त होने के बाद से अमित कुमार परवीन सलमा नामक दो सदस्यों के भरोसे रोटीन वर्क चल रहा है. ग्राहक सेवा में त्रुटी को ले नेशनल इन्शुरेन्स कंपनी पर केस दायर किये प्रमोद सिंह नमक उपभोक्ता कहते है, केस न 24/15 में अपने ओर से गवाही समाप्त कर बहस के लिए लंबित मेरे मामले का भविष्य ही पता नहीं चलता है. कब अध्यक्ष आयेंगे और सुनवाई होगी. उसी तरह सेवा में त्रुटी को ले स्टेट बैंक के खिलाफ 31/15 न का केस दायर किये अमित कुमार कहते है, बहस के लिए चल रहे मेरे मामले का अंत कब होगा. पता नहीं चलता. सिर्फ तारीख पर तारीख. और ना जाने कितनी तारीखें पड़ेंगी.
फोरम के कार्यरत सदस्य अमित कुमार बताते है, प्रावधान के मुताबिक फोरम में लाबित मामलों के निष्पादन का अधिकार अध्यक्ष को सुरक्षित है. केस स्वीकार करने, गवाही लेने और आवेदनों पर विचार करना हम सदस्यों के अधिकार क्षेत्र में है जो हम नियमित बैठकें कर अपना कार्य निष्पादन करते है. फोरम में लगभग 325 मामले लंबित है. लगभग 125 मामले अंतिम सुनवाई के लिए लंबित है. अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद लंबित मामलों का निष्पादन हो सकेगा.

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