उत्तर भारत में 5.8 तीव्रता का भूकंप, रुद्रप्रयाग था भूकंप का केंद्र
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा February 6, 2017 , by ख़बरें आप तकदिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड समेत पूरे उत्तर भारत में रात 10:35 पर बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। झटके इतने तेज थे कि लोग ऑफिसों और घरों से बाहर आ गए।
उत्तराखंड में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। यहां लोग घरों से भागकर सड़कों पर आ गए। शुरूआती रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.8 थी। भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के रुद्रपयाग में था। भूकंप की गहराई 33 किलोमीटर थी। पंजाब में भी लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए गए। करीब 30 सेकंड तक तेज झटके महसूस किए गए। उत्तराखंड हिमालय की बेल्ट के अंतर्गत आता है जो हाई सिस्मक एक्टविटीज के लिए जाना जाता है। भूकंप के भारी झटकों के बाद एनडीआरएफ की दो टीमें भूकंप के केंद्र रुद्रप्रयाग पहुंच चुकी है।
जमीन से एक किलोमीटर गहराई में था भूकंप का केंद्र। आपदा प्रबंधन की टीमें इस बारे में अभी अधिक जानकारी जुटाने में जुटी हैं। उत्तराखण्ड में भूकम्प, ऋषिकेश, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, कोटद्वार, देहरादून, हरिद्वार, रुड़की में महसूस किये गए भूकम्प के तेज़ झटके, लोगों में दहशत। भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है उत्तराखण्ड।
मेरठ में भी भूकंप के तेज झटके। ऊंची इमारतों में ज्यादा तेज झटके महसूस किए गए। जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं। कानपुर, मुरादाबाद और बरेली समेत पूरे उत्तर प्रदेश में भी भूकंप महसूस किया गया। इसके अलावा पंजाब के मोहाली, पटियाला, रोपड़, लुधियाना और जालंधर में भूंकप के तेज झटके महसूस किए गए
भूकंप के दौरान ऐसे बरतें सतर्कता
अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं। यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं।
अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं. अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें। अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें. मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें। अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं। कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है. अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें।
भूकंप आता कैसे है?
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख एवं कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है। पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं।
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