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आवाज से बनायी रेडियो में पहचान

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भारत में मीडिया मैजिक के इस दौर में जब मीडिया सत्ता को बदल कर रख देने का माद्दा रखने लगी है, और इस क्षेत्र में पुरुषों के साथ महिलाएं भी कदमताल मिलाती दिख रहीं हैं उसी दौर में अमेरिका के एनपीआर रेडियो पर एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम का संचालन करनेवाली भारतवंशी मधुलिका सिक्का, अमेरिकी रेडियो पर एक जानी-मानी आवाज बन चुकी हैं.
सवेरा होने के साथ ही मधुलिका रोजमर्रा के बहुतेरे कामों को एकसाथ निबटाने में जुट जाती हैं. अखबार पढ़ना, काम से जुड़ी इ-मेल निबटाने, अपनी बेटियों को स्कूल छोड़ने के साथ-साथ वह रेडियो प्रोग्राम ‘मॉर्निग एडिशन’ के प्रारंभिक फीड को सुनना भी नहीं भूलतीं. सिक्का इस रेडियो शो के कार्यक्र मों की मुखिया की जिम्मेदारी निभा रही हैं और वह यहां एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के पद पर नियुक्त हैं. दफ्तर पहुंचते ही वह खबरों के ढेर और ब्रेकिंग न्यूज की छंटाई से रू-ब-रू होती हैं, जिन्हें इस शो को सुनने वाले एक करोड़ तीस लाख श्रोताओं की सेवा में प्रस्तुत किया जाता है. ‘मॉर्निग एडिशन’ निजी क्षेत्र में चलनेवाले नॉन प्रॉफिट ब्रॉडकास्टर नेशनल पब्लिक रेडियो यानी एनपीआर के जरिये चलता है. इस शो के साथ 17 देशों में संवाददाताओं की टीम तो है ही, साथ ही अमेरिका में भी 17 अलग-अलग जगहों पर उसके संवाददाता तैनात हैं. अमेरिका भर के 650 स्टेशनों से सप्ताह के दिनों में इस शो का प्रसारण होता है.
47 वर्षीय सिक्का अपने काम को बेहद चुनौतीपूर्ण भरा मानती हैं. शो की प्लानिंग करने के साथ ही शो के लिए विस्तृत थीम तैयार करने का भी काम उन्हीं के जिम्मे है. वह कहती हैं हमें खबरों के साथ फीचर और कला जैसे विषयों पर भी जोर देना पड़ता है ताकि श्रोता दिनभर भरपूर जानकारियों से लैस हों और किसी भी विषय पर आम चर्चा में शामिल हो सके
सिक्का वर्ष 2006 में बतौर सुपरवाइजिंग सीनियर प्रोड्यूसर एनपीआर में आयी थीं, पर जल्द ही वह यहां शीर्ष पर पहुंच गयीं. सिक्का को अब तक चार बार एमी पुरस्कार और तीन बार दक्षिण एशियाई जर्नलिस्ट एसोसिएशन पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. उन्होंने एबीसी, सीबीएस और एनबीसी के साथ भी काम किया है. निदेशक एलन मैक्डोनेल ने एक लेख में लिखा कि आप भी मानेंगे कि ‘मॉर्निग एडिशन’ कभी भी इतना बेहतर नहीं लगा होगा.
सिक्का कहती हैं कि वह भारत बहुत ज्यादा नहीं जा पातीं पर उनके पिता का काफी आना-जाना है और उनके जरिये वह भारत से लगातार जुड़ी रहती हैं. जब कभी भारत के जाने-माने लोगों को ‘मॉर्निग एडिशन’ के शो पर बुलाया जाता है, तो श्रोताओं की प्रतिक्रि या का काफी हद तक अंदाजा होता है. वह बताती हैं,‘दक्षिण एशियाई ऐसी चीजों को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं जिनसे संवाद में वे अपना अक्स देखते हैं- चाहे बात शाहरु ख खान की हो, क्रिकेट की या फिर किसी भारतीय राजनेताओं के प्रोफाइल की.’ वह आमतौर पर ऐसे मुद्दों के बारे में लिखने का शौक रखती हैं, जिनमें उनकी भारतीय विरासत का बोध नजर आता हो.
सिक्का अपनी भारतीय और ब्रिटिश परवरिश को अपने विशिष्ट नजरिये की वजह बताती हैं. नयी दिल्ली में जन्म लेने के बाद सिर्फ तीन माह की उम्र में ही उन्हें लंदन आना पड़ा क्योंकि यहां उनके पिता भारतीय विदेश सेवा के कर्मचारी होने के नाते बतौर राजनयिक तैनात थे. सिक्का ने 1985 में लंदन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विषयों में स्नातक डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने 1987 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स और पॉलिटिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की. शादी के बाद वह अमेरिका आकर बस गयीं. भारत यात्र के दौरान उनकी संगीत के प्रति दिलचस्पी जगी, जिसके बाद उन्होंने एक सितार खरीदा और फिर वॉशिंगटन डीसी में अपने लिए एक शिक्षक भी खोजा. सिक्का कहती हैं कि भारतीय खाना बहुत कुछ एक परंपरा की तरह है, जिसके साथ वह बड़ी हुई हैं और आज उनकी बेटियां अपनी भारतीयता को लेकर बहुत जागरूक हैं.

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