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आरओ का पानी आपको कर सकता है बीमार

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अगर आपने अपने घर में आरओ (रिवर्स ऑसमॉसिस) मशीन लगा रखा है तो सावधान हो जाएं. यह पानी किसी भी लिहाज से आपके लिए सेफ नहीं है.
क्योंकि आरओ वाटर से शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स फिल्टर होकर बाहर निकल जाता है. यह दावा है डॉक्टरों का. डॉक्टरों की मानें तो लगातार आरओ का पानी पीने से शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा ले रही हैं. अस्पतालों में आ रहे मरीज की जांच रिपोर्ट के बाद डॉक्टर आरओ के पानी से बचने की सलाह दे रहे हैं. वे इस तरह के पानी को स्वास्थ्य के लिहाज से नुकसानदायक बताते हुए पानी पीने से मना कर रहे हैं.
महज 30 मिली ग्राम होती है घुलनशील पदार्थों की मात्रा : विशेषज्ञ डॉक्टरों की मानें तो आरओ सिस्टम में घुलनशील पदार्थों की मात्रा सिर्फ 30 मिली ग्राम प्रति लीटर होती है, जो बहुत ही कम रहता है. नतीजा शरीर में कई तरह के रोग पैदा हो रहे हैं.
इतना ही नहीं डबल्यूएचओ की रिपोर्ट की मानें तो बोतलबंद पानी या आरओ का पानी लंबे समय तक उपयोग करने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. रिपोर्ट के अनुसार आरओ का पानी एक तरह से स्लो पॉइजन की तरह काम कर रहा है. यही वजह है कि कई देशों में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध भी लगा है.
शुद्ध जल का पीएच होता है 7.0 : शुद्ध जल का पीएच 7.0 के आस-पास होता है. 7 से कम पीएच वाले पानी को अम्लीय कहा जाता है और 7 से अधिक वाले पानी को क्षारीय कहा जाता है. ऐसे में आपको 7़ 0 पीएच वाले पानी को पीना चाहिए.
आम तौर पर पानी 6.50 से 7.50 तक भी रहे तो भी यह पूरी तरह से शुद्ध नहीं, लेकिन शुद्धता की श्रेणी में आयेगा. वहीं पीएच अधिक दिखाने के चक्कर में आरओ सेट करने वाले कर्मचारी आरो का पीएच अधिक बढ़ा देते हैं. नतीजा पीलिया, पेट में दर्द आदि रोग होते हैं. ऐसे में डॉक्टर बताते हैं कि 7.0 पीएच पानी ही पीना चाहिए.
किडनी, सिरदर्द, थकान व हृदय से जुड़ी बीमारी
जनरल फिजिशियन डॉ मनोज कुमार ने बताया कि रोजाना आरओ का पानी पीने से लोगों में हृदय संबंधी, थकान, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द, ऑस्टियोपोरेसिस, पेट दर्द की समस्या सामने आ रही है. उन्होंने बताया कि एक लीटर आरओ पानी बनने में करीब दो लीटर पानी की जरूरत व एक लीटर पानी की बर्बादी होती है.
आरओ फिल्टर करने के बाद बचा दूषित पानी बहाने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं होता. आरओ प्रक्रिया पानी से बैक्टीरिया के साथ ही आवश्यक खनिज, कैल्शियम, और मैग्नीशियम भी खत्म कर देता है. यही वजह है कि इस तरह के रोग हो रहे हैं. आरओ फिल्टर प्लास्टिक का बना होता है. तेज प्रेशर से पानी को फिल्टर से छाना जाता है जिससे कुछ मात्रा में प्लास्टिक का अंश भी पानी में घुल जाता है, जिससे कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.
यह है बेहतर विकल्प
डॉ मनोज ने कहा कि क्लोरीन बेहतर विकल्प है, क्योंकि क्लोरीनेशन से पानी का बैक्टीरिया खत्म होता है. उन्होंने बताया कि जब आरओ मशीन लगाया जा रहा हो तो इंजीनियर को पहले से ही यह बता दें कि मशीन में टीडीएस 30 मिलीग्राम से बढ़ाकर 100 मिलीग्राम प्रति लीटर कर दें. ऐसे में कुछ राहत मिलती है.

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