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आतंकवाद है सबसे बड़ा खतरा-मोदी

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न्यूयॉर्क में हो रही जी-4 समिट में पीएम मोदी ने इसकी मेजबानी की। मोदी ने अपनी बात शुरू करते हुए सबसे पहले सभी का स्वागत किया और कहा कि 10 साल बाद हो रही इस मीटिंग से वे काफी खुश हैं। मोदी ने कहा कि आए दिन लोगों के जीने का तरीका ग्लोबल स्तर का होता जा रहा है।पर्यावरण में बदलाव और आतंकवाद को मोदी ने आज के समय का सबसे बड़ा मुद्दा बताया। वे बोले कि इस समय में यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल में सुधार एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को भी शामिल किया जाना चाहिए।आपको बता दें कि 2004 में जी-4 देशों का ये समूह बना था, जिसके 10 साल बाद इसकी मेजबानी भारत ने की है। जी-4 देशों में भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील शामिल हैं।मोदी की बात खत्म होने के बाद ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रॉसेफ ने कहा कि अभी तक जो भी परिणाम देखने को मिले हैं वो बहुत अच्छे नहीं हैं। उन्होंने कहा की इससे ज्यादा इफेक्टिव सिक्योरिटी काउंसिल की जरूरत है।
जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने भी मोदी और डिल्मा की बातों के समर्थन में कहा कि सिक्योरिटी काउंसिल में सुधार की जरूरत है।जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक विश्वस्तरीय मौका है और इससे मिलने वाले परिणामों को हमें पूरी दुनिया को दिखाना चाहिए। अबे का मानना है कि ऐसा करने से काफी सुधार होने की संभावना है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को मजहब से अलग करने की जरूरत पर बल दिया है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि आज के दौर में दुनिया के सामने कुख्यात आतंकी संगठन आईएस सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर जॉर्डन के सुल्तान शाह अब्दुल्ला से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि मोदी ने युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने और कट्टरपंथी संदेशों पर प्रतिक्त्रिस्या करने के तरीकों पर विचार किया।
स्वरूप ने बताया,उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर लंबे समय से लंबित एक एक समग्र संधि के प्रस्ताव का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक सुर में बोले और इस वैश्विक प्रस्ताव को स्वीकार करे। मोदी और शाह अब्दुल्ला ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के बारे में विमर्श किया। मोदी और शाह अब्दुल्ला ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर भी चर्चा की।
स्वरूप ने बताया, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बात समझ से परे है कि मानवता के छठे हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाला विशाल देश भारत सुरक्षा परिषद से बाहर है। हम चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वषर्गांठ के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके लिए कदम उठाए और संयुक्त राष्ट्र की इस महत्वपूर्ण इकाई में सुधार करे। जॉर्डन के शाह ने कहा कि वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने की भारत की आकांक्षा का हमेशा समर्थन करते रहे हैं। जब इराक और सीरिया में भारतीय फंसे थे तब जॉर्डन द्वारा मदद करने के लिए मोदी ने शाह अब्दुल्ला का धन्यवाद भी दिया।

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