अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है ‘बराबर’ की पहाड़ी
ताज़ा समाचार, बिहार, सम्पादकीय April 21, 2016जहानाबाद के मखदुमपुर स्टेशन के पास ‘बराबर’ की पहाड़ी अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है। सात गुफाओं से बनी है यह पहाड़ी। स्थानीय लोग इसे ‘सतघरवा’ कहते हैं।
कई हैं मान्यताएं : मान्यता है कि बराबर पहाड़ी में सात गुफाएं वही हैं, जिसे पुराण में ‘सतघर’ कहा गया है। ये गुफाएं हैं, कर्ण चौपट या कर्ण की गुफा, सुदामा की गुफा, लोमश ऋषि गुफा, विश्वामित्र की गुफा, नागार्जुनी गुफा, गोपी गुफा और वैदिक गुफा। सातों गुफाएं बराबर के दक्षिण भाग से मात्र बीस फुट की ऊंचाई पर है।
गुफा के पूरब में पाताल गंगा जलाशय है। पाताल गंगा में एक बड़ा तालाब और गुफा के दक्षिण में दस एकड़ से अधिक क्षेत्र में समतल मैदान है। मैदान और गुफा से एक मील पूरब फल्गू नदी बहती है, जो यहां आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
कर्ण चौपट: ऐसा कहा जाता है कि कुंती पुत्र दानवीर कर्ण अंग देश का राजा होने के बाद यहां आए थे।
सुदामा गुफा : कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र के लिए यह आवास बनवाया था।
लोमश ऋषि गुफा: मान्यता है कि लोमश ऋषि घुमंतू थे। भगवान श्रीकृष्ण ने लोमश ऋषि से यहां अर्जुन का परिचय कराया था।
विश्वामित्र गुफा : वाल्मिकी रामायण के अनुसार भगवान राम, लक्ष्मण के साथ ऋषि विश्वामित्र यहां पधारे थे। राम, लक्ष्मण धनुष यज्ञ में भाग लेने मिथिला जा रहे थे। तीनों ने इस गुफा में रात्रि विश्राम किया था।
नागार्जुन गुफा : नागार्जुन बौद्ध धर्म के एक गुरु थे और वे यहां रहा करते थे। उनकी याद में सम्राट अशोक ने स्तूप निर्मित कराया था।
गोपी गुफा : इसे भगवान राम के पिता राजा दशरथ ने उसे बनवाया था।
वैदिक गुफा : राजा शार्दूल बर्मण और आनंद बर्मण ने गुफा के अंदर हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की थी। बौद्ध साहित्य में इस पर्वत को शीलभद्र विहार कहा गया है। शीलभद्र बंगाल के एक कुलीन परिवार से थे और बौद्ध धर्म के बड़े विद्वान और प्रचारक थे। यहां शीलभद्र का निवास स्थल तथा बौद्ध स्तूप भी था।
अलौलिक शक्ति है बराबर : बराबर अलौकिक शक्ति का केन्द्र है। प्राकृतिक वादियां, कल-कल झरने, नौकाविहार, ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व वाले गुफाएं पर्यटकों को खूब आकर्षित करती हैं। बराबर पहाड़ी की चोटी पर स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर आकर्षक का केंद्र है।
सावन में पूरे माह श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव के नवरूपों में बाबा सिद्धनाथ का सर्वोच्य स्थान है। मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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