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अजीत डोवाल बने नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

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कई सम्मान पा चुके खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख अजीत डोवाल को आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पदभार संभालने के बाद दूसरी बड़ी नियुक्ति के तहत 69 वर्षीय डोवाल को यह पद सौंपा गया। इससे पहले नपेंद्र मिश्र को मोदी का प्रधान सचिव बनाया गया था।
आधिकारिक आदेश के अनुसार, जनवरी 2005 में खुफिया ब्यूरो के प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त डोवाल की नियुक्ति आज हुई। आदेश में कहा गया कि उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक या अगले आदेश तक, जो पहले हो, लागू रहेगी।
मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले से डोवाल को इस पद की जिम्मेदारी सौंपने की चर्चा शुरू हो गई थीं। डोवाल ने गुजरात भवन में मोदी से मुलाकात की थी और देश के सामने मौजूद सुरक्षा चुनौतियों से उन्हें अवगत कराया।
सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिस अधिकारी डोवाल देश के भीतर और बाहर से मौजूद खतरों के बारे में अपने गहरे नजरिये को उपलब्ध कराएंगे।
वर्ष 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी डोवाल वर्ष 1999 में कंधार ले जाए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 के अपहरणकर्ताओं के साथ मुख्य वार्ताकार थे। कुछ वर्ष वर्दी में बिताने के बाद, डोवाल ने 33 वर्ष से अधिक समय खुफिया अधिकारी के तौर पर बिताया और इस दौरान वह पूर्वोत्तर, जम्मू कश्मीर और पंजाब में तैनात रहे।
डोवाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की आपरेशन शाखा का नेतृत्व किया। सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, वे दिल्ली स्थित एनजीओ विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन चला रहे थे, जो वार्ता और विवाद निबटारे के लिए मंच उपलब्ध कराता है।भारतीय और वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर स्पष्ट नजरिया रखने वाले डोवाल ने भारतीय सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा बलों के बीच करीबी सहयोग बढाने के लिए देश विदेश में विस्तृत रूप से अपनी बात रखी। वह सेवा में केवल छह वर्ष में बहादुरी के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित होने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं। यह सम्मान आमतौर पर 15 वर्ष बाद दिया जाता है।
डोवाल मिजोरम में उग्रवाद निरोधक अभियान चलाकर इसके सात में से छह कमांडरों को अपने पक्ष में कर मिजो उग्रवादी नेता लालदेंगा को वार्ता की मेज पर लेकर आए। वर्ष 1989 में उन्होंने अमतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों का सफाया करने के लिए आपरेशन ब्लैक थंडर के तह पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल का नेतृत्व किया था।
डोवाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किये गये रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी। कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान, डोवाल आतंकवादी समूहों को तोड़ने में सफल रहे।

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